वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, हांगकांग
Updated Wed, 30 Dec 2020 12:16 PM IST
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हांगकांग की पर्यावरण संरक्षण ओसियन्स एशिया ने इस संबंध में एक ग्लोबल मार्केट रिसर्च के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अलग-अलग माध्यमों से इस्तेमाल किए गए 150 करोड़ फेस मास्क समुद्र में पहुंचेंगे। इन हजारों टन प्लास्टिक से समुद्री जल में फैले प्रदूषण के कारण समुद्री वन्य जीवन को भारी नुकसान होगा।
कोरोना वायरस से बचाव के लिए इस साल लगभग 5,200 करोड़ मास्क बने हैं। परंपरागत गणना के आधार पर इसका तीन फीसदी हिस्सा समुद्र में पहुंचेगा। ये सिंगल यूज फेस मास्क मेल्टब्लॉन किस्म के प्लास्टिक से बना होता है, इसमें कंपोजिशन, खतरे और इंफेक्शन की वजह से इसे रिसाइकिल करना काफी मुश्किल हो जाता है।
हर मास्क का वजन तीन से चार ग्राम होता है। इस स्थिति में लगभग 6,800 टन से ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण पैदा होगा। इतनी संख्या में पैदा हुए प्लास्टिक को खत्म करने में कम से कम 450 साल लगेंगे। रिपोर्ट में इस खतरे से बचने के लिए बार-बार इस्तेमाल होने वाले और धुलने वाले कपड़े से बने मास्क के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है।
ब्रिटेन की शाही सोसाइटी ने जानवरों की सुरक्षा के लिए हाल ही में सुझाव दिया था कि अपना मास्क फेंकने से पहले उसका कान में लगाने वाला स्ट्रैप निकाल दिया करें।
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