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असर: 2030 तक दुनियाभर में बदल जाएगा रोजगार का बाजार
मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट ने एक सर्वे में बताया कि 2030 तक दुनियाभर में रोजगार के स्वरूप में बड़ा बदलाव आएगा। खुदरा क्षेत्र, खाद्य सेवाएं, होटल और कार्यालय प्रशासन जैसे क्षेत्रों में छोटे कामगारों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। कंपनियां भी महामारी के दबाव में नए तरह के कामकाज को अपना रही हैं।
10 करोड़ लोग वैश्विक स्तर पर बदलेंगे नौकरी का प्रारूप
भारत सहित आठ देशों में इसका सबसे ज्यादा असर दिखेगा। रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ताओं की प्रकृति में बदलाव से कारोबारी मॉडल भी बदलना पड़ रहा है। अब ई-कॉमर्स और बिना व्यक्तिगत रूप से संपर्क में आए कामकाज को बढ़ावा मिल रहा है। लिहाजा अगले एक दशक में कई बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में 10 करोड़ लोग इससे प्रभावित होंगे, जिनमें 1.8 करोड़ भारत से होंगे।
भारत पर कम असर
महामारी से रोजगार की प्रवृत्ति में आ रहे बदलावों का भारतीय बाजार पर कम असर दिखेगा, क्योंकि यहां कुल श्रम का 35-55 फीसदी बाहरी उत्पादन व रखरखाव से जुड़ा है। इसमें आवासीय और वाणिज्यिक निर्माण प्रोजेक्ट की संख्या सबसे ज्यादा है।
रोजगार के तरीके बदलने से व्यक्तिगत संपर्क और मानव श्रम वाले कामकाज के घंटों में 2.2 फीसदी गिरावट रहेगी, जबकि तकनीकी कौशल वाले श्रम के घंटों में 3.3 फीसदी का इजाफा होगा। भविष्य में कारोबारी यात्राओं में भी कमी आएगी और घंटे के हिसाब से काम करने वालों की संख्या बढ़ेगी।
छोटे कामगारों पर ज्यादा मार
मैकेंजी ग्लोबल पार्टनर सुजैन लुंड के अनुसार, कोविड-19 वायरस के लंबे समय तक असर की वजह से छोटे कामगारों पर ज्यादा मार पड़ेगी। इन्हें अपने कौशल को बढ़ाकर ज्यादा वेतन वाली नौकरियों की तरफ जाना होगा। स्वास्थ्य सुरक्षा, तकनीकी, शिक्षा और प्रशिक्षण, सामाजिक कामकाज व मानव संसाधन जैसे क्षेत्रों में मौके मिल सकते हैं।
कामगारों में नए कौशल विकसित करने के लिए कंपनियों और नीति निर्माताओं को तत्काल बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण शुरू करना होगा। कोविड-19 पर भारत सहित दुनियाभर में काफी हद तक काबू पाया जा चुका है, लेकिन कौशल विकास पर आगे भी इसका असर दिखता रहेगा।
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