ख़बर सुनें
वीरभद्रासन को वॉरियर पोज भी कहा जाता है। यह आसन हाथों, कंधों, जांघों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायता करता है, साथ ही इन स्थानों पर जमा अतिरिक्त वसा को भी अलग करता है। इस आसन के अभ्यास से शरीर को ताकत और स्फूर्ति मिलती है। आइए जानते हैं वीरभद्रासन करने का सही तरीका एवं इससे होने वाले फायदों के बारे में।
वीरभद्रासन करने का तरीका-
वीरभद्रासन करने के लिए पैरों को तीन-चार फुट की दूरी पर फैला कर सीधे खड़े हो जाएँ। दाहिनी एड़ी बाएँ पैर के सीध में रखें। अब दोनों हाथों को कंधो तक ऊपर उठाएं, हथेलियां आसमान की तरफ खुली हुई होना चाहिए । लंबी गहरी साँस छोड़ते हुए दाहिने घुटने को मोड़ें। देखें कि दाहिना घुटना एवं दाहिना टखना एक सीध में है या नहीं। घुटना टखने से आगे नहीं होना चाहिए। सिर को घुमाकर अपनी दाहिनी ओर देखें। आसन में ऐसे ही बने रहकर हाथों को थोड़ा और खीचें। सांस लेते वक्त शरीर को ऊपर की ओर खींचे।
वीरभद्रासन करने के लाभ-
-आसन के नियमित अभ्यास से कमर को मजबूती मिलती है।
-जांघों के मोटापे को कम करने में सहायता मिलती है।
-शरीर को लचीला बनाने के साथ ही उसमें संतुलन भी बढ़ाता है।
-दिनभर बैठकर कार्य करने वालों को अवश्य करना चाहिए, फायदै पहुंचता है।
-कंधों के दर्द से छुटकारा।
-दिमाग में साहस एवं शांति की वृद्धि करता है।
सावधानियां-
-गर्भवती महिलाएं चिकित्सक के परामर्श से ही इस आसन का अभ्यास करें।
-अगर आप रीढ़ की हड्डी से जुड़ी किसी समस्या से पीड़ित हैं, तब तो आपको बड़ी सावधानि से आसन का अभ्यास करना होगा।
-उच्च रक्तचाप वाले मरीज भूल से भी यह आसन न करें।
-दस्त की समस्या में भी आसन का अभ्यास ठीक नहीं है।
-अगर आपको घुटनों में दर्द है तो किसी सहारे से आसन का अभ्यास करें।
Leave a Reply