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After Ban On Social Media Now Trump Supporters Using Encrypted Messaging Apps – ट्रंप समर्थकों पर सोशल मीडिया बैन से बढ़ गई सुरक्षा एजेंसियों की मुश्किल, इनक्रिप्टेड मेसेजिंग एप्स का ले रहे सहारा

January 13, 2021Leave a Comment

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Updated Wed, 13 Jan 2021 06:46 PM IST

प्रदर्शन करते ट्रंप समर्थक
– फोटो : पीटीआई (फाइल)


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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के समर्थकों ने अब आपस में संवाद का वैकल्पिक तरीका अपना लिया है। छह जनवरी को यहां कैपिटल हिल पर हुए हमले के बाद बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों ने ट्रंप समर्थक ग्रुप्स को बड़ी संख्या में अपने प्लैटफॉर्म्स से हटा दिया है। इसलिए अब ये समर्थक इनक्रिप्टेड मेसेजिंग एप्स पर बनाए प्राइवेट ग्रुप्स के जरिए आपस में बातचीत कर रहे हैं। वेबसाइट पोलिटिको.कॉम में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे सुरक्षा एजेंसियों का काम और मुश्किल हो गया है। फेसबुक, ट्वीटर और पार्लर जैसे माध्यमों पर बातचीत पर नजर रखना आसान था। लेकिन इनक्रिप्टेड एप्स पर ये करना बहुत मुश्किल है।

अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां ऐसी सूचनाओं से परेशान हैं कि ट्रंप समर्थक निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के शपथ ग्रहण के दिन हिंसक हमलों की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन अब उनके बीच का संवाद ना पढ़ पाने के कारण ये एजेंसियां सटीक जानकारी पाने में अक्षम हो गई हैं। इसलिए उनके लिए इस बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना कठिन हो गया है कि खतरा कितना गंभीर है। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक ट्रंप समर्थक अब टिकटॉक पर बातचीत कर रहे हैं, जिसे अब तक वीडियो शेयर करने के माध्यम के रूप में ही देखा जाता था।

इस बीच पूरे देश में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। कैपिटल हिल में मेटल डिटेक्टर लगा दिए गए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है। इससे हो रही दिक्कतों का जिक्र कई अमेरिकी सांसदों ने ट्वीटर पर किया है। इसके अलावा जन प्रतिनिधियों को सुरक्षा उपायों की खास जानकारी दी जा रही है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने 20 जनवरी को शपथ ग्रहण के मौके पर 15 हजार नेशनल गार्ड्स की तैनाती को मंजूरी दी है।

हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य कोनोर लैंब ने वेबसाइट पोलिटिको से कहा कि उन्हें और उनके साथी सांसदों को शपथ ग्रहण के दिन हो सकने वाले हमलों के बारे में सुरक्षा एजेंसियों ने जानकारी दी है। उनके मुताबिक मुमकिन है कि उस रोज लगभग चार हजार ट्रंप समर्थक कैपिटल हिल को घेर लें और किसी सांसद को शपथ ग्रहण समारोह में ना जाने दें। बताया गया है कि ट्रंप समर्थक खुद को देशभक्त मानते हैं और इसलिए उनमें कुछ भी कर गुजरने का जुनून है।

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक ट्रंप समर्थकों का कोई एक संगठन नहीं है। ये विकेंद्रित ढांचा है, जिसके नए-नए गुट बन रहे हैं। उनमें कुछ का संबंध जाने-पहचाने उग्रवादी समूहों के साथ है। उन्होंने अपने खास चैनलों और सोशल मीडिया के जरिए खुद को फैलाया है। वे लोगों के इकट्ठा होने की तारीख और समय इन माध्यमों के जरिए अपने समर्थकों को बता रहे हैं। उनकी योजना उन जगहों से कथित धांधली से तय हुए चुनाव नतीजे के खिलाफ रैली निकालने की है। वे खास तौर पर राज्यों और संघीय संसद भवन तक शपथ ग्रहण के दिन पहुंचना चाहते हैं।

टिकटॉक के अलावा अब ये ग्रुप गैब और टेलीग्राम एप्स का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इनसे मिली सूचनाओं के आधार पर वेबसाइट पोलिटिको ने कहा है कि ट्रंप समर्थक समूहों ने अब कई नाम से आंदोलन की शुरुआत कर दी है। इनमें मिलियन मिलिशिया मार्च और पैट्रियॉट एक्शन फॉर अमेरिका नए और अहम हैं। इसके पहले मेक अमेरिका ग्रेट अगेन नाम से ट्रंप समर्थकों का आंदोलन चल रहा है। इन गुटों की गोलबंदी से सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ी है। सुरक्षा एजेंसियों के लिए सभी गुटों पर नजर रखना और उनसे निपटने के उपाय करना अब और मुश्किल हो गया है। इन्हीं कारणों से जो बाइडन के राष्ट्रपति पद संभालने से पहले अमेरिका में भय का माहौल और गहरा गया है।

सार

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक ट्रंप समर्थकों का कोई एक संगठन नहीं है। ये विकेंद्रित ढांचा है, जिसके नए-नए गुट बन रहे हैं। उनमें कुछ का संबंध जाने-पहचाने उग्रवादी समूहों के साथ है…

विस्तार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के समर्थकों ने अब आपस में संवाद का वैकल्पिक तरीका अपना लिया है। छह जनवरी को यहां कैपिटल हिल पर हुए हमले के बाद बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों ने ट्रंप समर्थक ग्रुप्स को बड़ी संख्या में अपने प्लैटफॉर्म्स से हटा दिया है। इसलिए अब ये समर्थक इनक्रिप्टेड मेसेजिंग एप्स पर बनाए प्राइवेट ग्रुप्स के जरिए आपस में बातचीत कर रहे हैं। वेबसाइट पोलिटिको.कॉम में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे सुरक्षा एजेंसियों का काम और मुश्किल हो गया है। फेसबुक, ट्वीटर और पार्लर जैसे माध्यमों पर बातचीत पर नजर रखना आसान था। लेकिन इनक्रिप्टेड एप्स पर ये करना बहुत मुश्किल है।

अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां ऐसी सूचनाओं से परेशान हैं कि ट्रंप समर्थक निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के शपथ ग्रहण के दिन हिंसक हमलों की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन अब उनके बीच का संवाद ना पढ़ पाने के कारण ये एजेंसियां सटीक जानकारी पाने में अक्षम हो गई हैं। इसलिए उनके लिए इस बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना कठिन हो गया है कि खतरा कितना गंभीर है। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक ट्रंप समर्थक अब टिकटॉक पर बातचीत कर रहे हैं, जिसे अब तक वीडियो शेयर करने के माध्यम के रूप में ही देखा जाता था।

इस बीच पूरे देश में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। कैपिटल हिल में मेटल डिटेक्टर लगा दिए गए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है। इससे हो रही दिक्कतों का जिक्र कई अमेरिकी सांसदों ने ट्वीटर पर किया है। इसके अलावा जन प्रतिनिधियों को सुरक्षा उपायों की खास जानकारी दी जा रही है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने 20 जनवरी को शपथ ग्रहण के मौके पर 15 हजार नेशनल गार्ड्स की तैनाती को मंजूरी दी है।

हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य कोनोर लैंब ने वेबसाइट पोलिटिको से कहा कि उन्हें और उनके साथी सांसदों को शपथ ग्रहण के दिन हो सकने वाले हमलों के बारे में सुरक्षा एजेंसियों ने जानकारी दी है। उनके मुताबिक मुमकिन है कि उस रोज लगभग चार हजार ट्रंप समर्थक कैपिटल हिल को घेर लें और किसी सांसद को शपथ ग्रहण समारोह में ना जाने दें। बताया गया है कि ट्रंप समर्थक खुद को देशभक्त मानते हैं और इसलिए उनमें कुछ भी कर गुजरने का जुनून है।

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक ट्रंप समर्थकों का कोई एक संगठन नहीं है। ये विकेंद्रित ढांचा है, जिसके नए-नए गुट बन रहे हैं। उनमें कुछ का संबंध जाने-पहचाने उग्रवादी समूहों के साथ है। उन्होंने अपने खास चैनलों और सोशल मीडिया के जरिए खुद को फैलाया है। वे लोगों के इकट्ठा होने की तारीख और समय इन माध्यमों के जरिए अपने समर्थकों को बता रहे हैं। उनकी योजना उन जगहों से कथित धांधली से तय हुए चुनाव नतीजे के खिलाफ रैली निकालने की है। वे खास तौर पर राज्यों और संघीय संसद भवन तक शपथ ग्रहण के दिन पहुंचना चाहते हैं।

टिकटॉक के अलावा अब ये ग्रुप गैब और टेलीग्राम एप्स का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इनसे मिली सूचनाओं के आधार पर वेबसाइट पोलिटिको ने कहा है कि ट्रंप समर्थक समूहों ने अब कई नाम से आंदोलन की शुरुआत कर दी है। इनमें मिलियन मिलिशिया मार्च और पैट्रियॉट एक्शन फॉर अमेरिका नए और अहम हैं। इसके पहले मेक अमेरिका ग्रेट अगेन नाम से ट्रंप समर्थकों का आंदोलन चल रहा है। इन गुटों की गोलबंदी से सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ी है। सुरक्षा एजेंसियों के लिए सभी गुटों पर नजर रखना और उनसे निपटने के उपाय करना अब और मुश्किल हो गया है। इन्हीं कारणों से जो बाइडन के राष्ट्रपति पद संभालने से पहले अमेरिका में भय का माहौल और गहरा गया है।

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