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You are here: Home / Auto / After The Government Notifications Vehicle Manufacturers Companies Are Not Providing First Aid Kit Include Feracrylum Gel And , Cetrimide Cream In Two Wheelers – वाहन निर्माता कंपनियां कर रही हैं लोगों की जान से खिलवाड़, सरकार के आदेश के बाद भी नहीं दे रही हैं ये खास ‘किट’

After The Government Notifications Vehicle Manufacturers Companies Are Not Providing First Aid Kit Include Feracrylum Gel And , Cetrimide Cream In Two Wheelers – वाहन निर्माता कंपनियां कर रही हैं लोगों की जान से खिलवाड़, सरकार के आदेश के बाद भी नहीं दे रही हैं ये खास ‘किट’

January 12, 2021Leave a Comment


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मोटर व्हीकल एक्ट में प्रावधान है कि अगर आपकी कार, बाइक या स्कूटर में फर्स्ट एड किट नहीं है तो आपका चालान काटा जा सकता है। 1999 में हर प्रकार के वाहनों में फर्स्ट एड किट को देना अनिवार्य बनाया गया था, और सरकार ने पिछले साल मोटर व्हीकल एक्ट में एक खास संशोधन कर अधिसूचना भी जारी की थी। लेकिन बावजूद इसके लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ताक पर रखते हुए दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियां अभी तक अपने वाहनों में नई फर्स्ट एड किट नहीं उपलब्ध करवा रही हैं।

खून रोकने और जले-कटे पर लगाने वाली ट्यूब शामिल होंगी

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन किया था कि सभी मोटर वाहनों में फर्स्ट एड किट उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही फर्स्ट एड किट में खून रोकने और जले-कटे पर लगाने वाली ट्यूब व दवाएं भी शामिल होंगी। मंत्रालय ने इस संदर्भ में एक अधिसूचना दिसंबर 2019, और 31 अगस्त 2020 को भी जारी कर चुका है। आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में रोजाना 340 सड़क हादसे होते हैं, इनमें सबसे ज्यादा दोपहिया वाहनों के होते हैं। लेकिन दुर्घटनाग्रस्त लोगों को ‘सुनहरे क्षणों’ यानी एक घंटे के भीतर ही मदद मिल जाए तो होने वाली संभावित मौतों को काफी हद तक टाला जा सकता है।

दरअसल राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी अपने एक आदेश में इसे बरकरार रखते हुए वाहन निर्माताओं से इसे शामिल करने के लिए कहा था। लेकिन वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम ने प्राथमिक चिकित्सा किट में जीवनरक्षक हेमोस्टेटिक जेल फेरेक्रिलम को शामिल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

1999 में ही फर्स्ट एड किट अनिवार्य

एक अप्रैल 2020 से लागू गैजेट नोटिफिकेशन के मुताबिक दोपहिया वाहनों की फर्स्ट एड किट में स्टरलाइज्ड रूई, मेडिकेटेड वाश प्रूफ प्लास्टर, स्टरलाइज्ड रहित रूई, स्टरलाइज्ड बैंडेड, इलास्टिक फैब्रिक, सेंट्रीमाइड क्रीम के साथ 1% फेरेक्रिलम जेल के साथ पीवीसी पाउच भी दिया जाएगा। साथ ही पट्टी, कैंची, एंटीसेप्टिक, दर्द निवारक टेबलेट व अन्य जीवन रक्षक दवाइयां रखनी होंगी। वहीं वाहन निर्माता कंपनियों के लिए यह सामग्री मुफ्त में देना अनिवार्य होगा। खास बात यह है कि भारत में 1999 में ही सभी प्रकार के वाहनों में फर्स्ट एड किट उपलब्ध कराना अनिवार्य बना दिया गया था। लेकिन दो दशक बीत जाने के बाद भी नियम लागू कराना सरकार के लिए चुनौती साबित हो रहा है।
 

18 दिसंबर 2019 में जारी की थी अधिसूचना

इनमें फेरेक्रिलम जेल का इस्तेमाल खून के बहाव को रोकने के लिए किया जाता है, जबकि सेंट्रीमाइड बीपी का प्रयोग जले-कटे पर लगाने के लिए होता है। सरकार ने 18 दिसंबर 2019 को नए बीएस6 वाहनों के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन कर इन्हीं दोनों दवाओं को शामिल करने के लिए अधिसूचना जारी की थी। फिलहाल कंपनियां दोपहिया वाहनों में सामान्य बीटाडीन, रूई और पट्टी ही उपलब्ध करा रही हैं, जो दुर्घटना की स्थिति में अत्यधिक मात्रा में खून बहने को रोकने में अपर्याप्त हैं।   

 

उच्चस्तरीय समिति ने की थी सिफारिश

सरकार का कहना था कि नई किट आने से सड़क दुर्घटना में ज्यादा खून बहने से होने वाली मौतों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा, क्योंकि पुरानी किट में आ रही दवाइयां खून के बहाव को रोकने में कारगार साबित नहीं होती हैं और ज्यादा खून बहने से लोगों की मौत हो जाती है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से एक समिति बनाने का आग्रह किया था। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था, जिसने सभी मोटर वाहनों की फर्स्ट एड किट में फेरेक्रिलम के उपयोग को लेकर सिफारिश की थी। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा था फेरेक्रिलम में एंटीमाइक्रोबियल गुणों के अलावा खून का बहाव रोकने की क्षमता है। इसके हीमोस्टेट गुणों खून का थक्का बनाने और बहाव रोकने के गुणों के चलते ही भारत में 1992 से इसे इस्तेमाल किया जा रहा है। 

सार

भारत में 1999 में ही सभी प्रकार के वाहनों में फर्स्ट एड किट को अनिवार्य बना दिया गया था। लेकिन दो दशक बीत जाने के बाद भी यह नियम लागू कराना सरकार के लिए चुनौती साबित हो रहा है…

विस्तार

मोटर व्हीकल एक्ट में प्रावधान है कि अगर आपकी कार, बाइक या स्कूटर में फर्स्ट एड किट नहीं है तो आपका चालान काटा जा सकता है। 1999 में हर प्रकार के वाहनों में फर्स्ट एड किट को देना अनिवार्य बनाया गया था, और सरकार ने पिछले साल मोटर व्हीकल एक्ट में एक खास संशोधन कर अधिसूचना भी जारी की थी। लेकिन बावजूद इसके लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ताक पर रखते हुए दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियां अभी तक अपने वाहनों में नई फर्स्ट एड किट नहीं उपलब्ध करवा रही हैं।

खून रोकने और जले-कटे पर लगाने वाली ट्यूब शामिल होंगी

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन किया था कि सभी मोटर वाहनों में फर्स्ट एड किट उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही फर्स्ट एड किट में खून रोकने और जले-कटे पर लगाने वाली ट्यूब व दवाएं भी शामिल होंगी। मंत्रालय ने इस संदर्भ में एक अधिसूचना दिसंबर 2019, और 31 अगस्त 2020 को भी जारी कर चुका है। आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में रोजाना 340 सड़क हादसे होते हैं, इनमें सबसे ज्यादा दोपहिया वाहनों के होते हैं। लेकिन दुर्घटनाग्रस्त लोगों को ‘सुनहरे क्षणों’ यानी एक घंटे के भीतर ही मदद मिल जाए तो होने वाली संभावित मौतों को काफी हद तक टाला जा सकता है।

दरअसल राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी अपने एक आदेश में इसे बरकरार रखते हुए वाहन निर्माताओं से इसे शामिल करने के लिए कहा था। लेकिन वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम ने प्राथमिक चिकित्सा किट में जीवनरक्षक हेमोस्टेटिक जेल फेरेक्रिलम को शामिल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

1999 में ही फर्स्ट एड किट अनिवार्य

एक अप्रैल 2020 से लागू गैजेट नोटिफिकेशन के मुताबिक दोपहिया वाहनों की फर्स्ट एड किट में स्टरलाइज्ड रूई, मेडिकेटेड वाश प्रूफ प्लास्टर, स्टरलाइज्ड रहित रूई, स्टरलाइज्ड बैंडेड, इलास्टिक फैब्रिक, सेंट्रीमाइड क्रीम के साथ 1% फेरेक्रिलम जेल के साथ पीवीसी पाउच भी दिया जाएगा। साथ ही पट्टी, कैंची, एंटीसेप्टिक, दर्द निवारक टेबलेट व अन्य जीवन रक्षक दवाइयां रखनी होंगी। वहीं वाहन निर्माता कंपनियों के लिए यह सामग्री मुफ्त में देना अनिवार्य होगा। खास बात यह है कि भारत में 1999 में ही सभी प्रकार के वाहनों में फर्स्ट एड किट उपलब्ध कराना अनिवार्य बना दिया गया था। लेकिन दो दशक बीत जाने के बाद भी नियम लागू कराना सरकार के लिए चुनौती साबित हो रहा है।
 

18 दिसंबर 2019 में जारी की थी अधिसूचना

इनमें फेरेक्रिलम जेल का इस्तेमाल खून के बहाव को रोकने के लिए किया जाता है, जबकि सेंट्रीमाइड बीपी का प्रयोग जले-कटे पर लगाने के लिए होता है। सरकार ने 18 दिसंबर 2019 को नए बीएस6 वाहनों के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन कर इन्हीं दोनों दवाओं को शामिल करने के लिए अधिसूचना जारी की थी। फिलहाल कंपनियां दोपहिया वाहनों में सामान्य बीटाडीन, रूई और पट्टी ही उपलब्ध करा रही हैं, जो दुर्घटना की स्थिति में अत्यधिक मात्रा में खून बहने को रोकने में अपर्याप्त हैं।   

 

उच्चस्तरीय समिति ने की थी सिफारिश

सरकार का कहना था कि नई किट आने से सड़क दुर्घटना में ज्यादा खून बहने से होने वाली मौतों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा, क्योंकि पुरानी किट में आ रही दवाइयां खून के बहाव को रोकने में कारगार साबित नहीं होती हैं और ज्यादा खून बहने से लोगों की मौत हो जाती है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से एक समिति बनाने का आग्रह किया था। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था, जिसने सभी मोटर वाहनों की फर्स्ट एड किट में फेरेक्रिलम के उपयोग को लेकर सिफारिश की थी। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा था फेरेक्रिलम में एंटीमाइक्रोबियल गुणों के अलावा खून का बहाव रोकने की क्षमता है। इसके हीमोस्टेट गुणों खून का थक्का बनाने और बहाव रोकने के गुणों के चलते ही भारत में 1992 से इसे इस्तेमाल किया जा रहा है। 

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Filed Under: Auto Tagged With: Auto industry, Auto News in Hindi, auto news india, automobile, bikes, central motor vehicle rules, cetrimide cream, feracrylum gel, first aid box, first aid kits in automobiles, first aid kits in vehicles regulations, Latest Auto News Updates, latest automobile news, ministry of road transport and highways, morth, motor vehicle act, mv act, Nitin Gadkari, road accident, scooter, Siam, two wheelers

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