पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
मोटर व्हीकल एक्ट में प्रावधान है कि अगर आपकी कार, बाइक या स्कूटर में फर्स्ट एड किट नहीं है तो आपका चालान काटा जा सकता है। 1999 में हर प्रकार के वाहनों में फर्स्ट एड किट को देना अनिवार्य बनाया गया था, और सरकार ने पिछले साल मोटर व्हीकल एक्ट में एक खास संशोधन कर अधिसूचना भी जारी की थी। लेकिन बावजूद इसके लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ताक पर रखते हुए दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियां अभी तक अपने वाहनों में नई फर्स्ट एड किट नहीं उपलब्ध करवा रही हैं।
खून रोकने और जले-कटे पर लगाने वाली ट्यूब शामिल होंगी
दरअसल राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी अपने एक आदेश में इसे बरकरार रखते हुए वाहन निर्माताओं से इसे शामिल करने के लिए कहा था। लेकिन वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम ने प्राथमिक चिकित्सा किट में जीवनरक्षक हेमोस्टेटिक जेल फेरेक्रिलम को शामिल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
1999 में ही फर्स्ट एड किट अनिवार्य
एक अप्रैल 2020 से लागू गैजेट नोटिफिकेशन के मुताबिक दोपहिया वाहनों की फर्स्ट एड किट में स्टरलाइज्ड रूई, मेडिकेटेड वाश प्रूफ प्लास्टर, स्टरलाइज्ड रहित रूई, स्टरलाइज्ड बैंडेड, इलास्टिक फैब्रिक, सेंट्रीमाइड क्रीम के साथ 1% फेरेक्रिलम जेल के साथ पीवीसी पाउच भी दिया जाएगा। साथ ही पट्टी, कैंची, एंटीसेप्टिक, दर्द निवारक टेबलेट व अन्य जीवन रक्षक दवाइयां रखनी होंगी। वहीं वाहन निर्माता कंपनियों के लिए यह सामग्री मुफ्त में देना अनिवार्य होगा। खास बात यह है कि भारत में 1999 में ही सभी प्रकार के वाहनों में फर्स्ट एड किट उपलब्ध कराना अनिवार्य बना दिया गया था। लेकिन दो दशक बीत जाने के बाद भी नियम लागू कराना सरकार के लिए चुनौती साबित हो रहा है।
18 दिसंबर 2019 में जारी की थी अधिसूचना
उच्चस्तरीय समिति ने की थी सिफारिश
सरकार का कहना था कि नई किट आने से सड़क दुर्घटना में ज्यादा खून बहने से होने वाली मौतों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा, क्योंकि पुरानी किट में आ रही दवाइयां खून के बहाव को रोकने में कारगार साबित नहीं होती हैं और ज्यादा खून बहने से लोगों की मौत हो जाती है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से एक समिति बनाने का आग्रह किया था। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था, जिसने सभी मोटर वाहनों की फर्स्ट एड किट में फेरेक्रिलम के उपयोग को लेकर सिफारिश की थी। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा था फेरेक्रिलम में एंटीमाइक्रोबियल गुणों के अलावा खून का बहाव रोकने की क्षमता है। इसके हीमोस्टेट गुणों खून का थक्का बनाने और बहाव रोकने के गुणों के चलते ही भारत में 1992 से इसे इस्तेमाल किया जा रहा है।
सार
भारत में 1999 में ही सभी प्रकार के वाहनों में फर्स्ट एड किट को अनिवार्य बना दिया गया था। लेकिन दो दशक बीत जाने के बाद भी यह नियम लागू कराना सरकार के लिए चुनौती साबित हो रहा है…
विस्तार
मोटर व्हीकल एक्ट में प्रावधान है कि अगर आपकी कार, बाइक या स्कूटर में फर्स्ट एड किट नहीं है तो आपका चालान काटा जा सकता है। 1999 में हर प्रकार के वाहनों में फर्स्ट एड किट को देना अनिवार्य बनाया गया था, और सरकार ने पिछले साल मोटर व्हीकल एक्ट में एक खास संशोधन कर अधिसूचना भी जारी की थी। लेकिन बावजूद इसके लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ताक पर रखते हुए दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियां अभी तक अपने वाहनों में नई फर्स्ट एड किट नहीं उपलब्ध करवा रही हैं।
खून रोकने और जले-कटे पर लगाने वाली ट्यूब शामिल होंगी
दरअसल राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी अपने एक आदेश में इसे बरकरार रखते हुए वाहन निर्माताओं से इसे शामिल करने के लिए कहा था। लेकिन वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम ने प्राथमिक चिकित्सा किट में जीवनरक्षक हेमोस्टेटिक जेल फेरेक्रिलम को शामिल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
1999 में ही फर्स्ट एड किट अनिवार्य
एक अप्रैल 2020 से लागू गैजेट नोटिफिकेशन के मुताबिक दोपहिया वाहनों की फर्स्ट एड किट में स्टरलाइज्ड रूई, मेडिकेटेड वाश प्रूफ प्लास्टर, स्टरलाइज्ड रहित रूई, स्टरलाइज्ड बैंडेड, इलास्टिक फैब्रिक, सेंट्रीमाइड क्रीम के साथ 1% फेरेक्रिलम जेल के साथ पीवीसी पाउच भी दिया जाएगा। साथ ही पट्टी, कैंची, एंटीसेप्टिक, दर्द निवारक टेबलेट व अन्य जीवन रक्षक दवाइयां रखनी होंगी। वहीं वाहन निर्माता कंपनियों के लिए यह सामग्री मुफ्त में देना अनिवार्य होगा। खास बात यह है कि भारत में 1999 में ही सभी प्रकार के वाहनों में फर्स्ट एड किट उपलब्ध कराना अनिवार्य बना दिया गया था। लेकिन दो दशक बीत जाने के बाद भी नियम लागू कराना सरकार के लिए चुनौती साबित हो रहा है।
18 दिसंबर 2019 में जारी की थी अधिसूचना
उच्चस्तरीय समिति ने की थी सिफारिश
सरकार का कहना था कि नई किट आने से सड़क दुर्घटना में ज्यादा खून बहने से होने वाली मौतों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा, क्योंकि पुरानी किट में आ रही दवाइयां खून के बहाव को रोकने में कारगार साबित नहीं होती हैं और ज्यादा खून बहने से लोगों की मौत हो जाती है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से एक समिति बनाने का आग्रह किया था। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था, जिसने सभी मोटर वाहनों की फर्स्ट एड किट में फेरेक्रिलम के उपयोग को लेकर सिफारिश की थी। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा था फेरेक्रिलम में एंटीमाइक्रोबियल गुणों के अलावा खून का बहाव रोकने की क्षमता है। इसके हीमोस्टेट गुणों खून का थक्का बनाने और बहाव रोकने के गुणों के चलते ही भारत में 1992 से इसे इस्तेमाल किया जा रहा है।
Leave a Reply