इथोपिया को प्रधानमंत्री अबी अहमद
– फोटो : twitter.com/AbiyAhmedAli
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
इस भयावह नरसंहार की जानकारी अब जाकर दुनिया के सामने आ पाई है क्योंकि यह इलाके का बाहरी दुनिया के साथ संपर्क रोक दिया गया था। इसके लिए इथोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद ने इंटरनेट के साथ-साथ मोबाइल नेटवर्क पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने देश की सेना को स्थानीय नेतृत्व के खिलाफ तैनात कर दिया है।
दि सन वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार एक स्थानीय विश्वविद्यालय में प्रवक्ता गेटु माक बताते हैं कि संदूक को बचाने में कितने लोग मारे गए। 32 वर्षीय माक ने कहा, ‘जब लोगों ने गोलियां चलने की आवाज सुनीं वो संदूक को बचाने वालों का साथ देने के लिए चर्च पहुंच गए। निश्चित तौर पर कुछ लोगों की ऐसा करने में जान चली गई थी।’
एग्जम में रहने वाले चर्च के एक सदस्य (डीकन) ने बताया कि किस तरह उसने शवों को गिनने में, पीड़ितों के पहचान पत्र एकत्रित करने में और सामूहिक रूप से शवों को दफनाने में मदद की थी। उनका मानना है कि इस घटना में सरकार समर्थित बलों की इस गोलीबारी में करीब 800 लोग मारे गए थे। उन्होंने बताया कि लोगों के शव कई दिनों तक सड़कों पर पड़े रहे थे।
गेटु बताते हैं कि नवंबर विवाद शुरू होने के बाद सैनिकों द्वारा कलाकृतियों की चोरी करने और उन्हें नष्ट करने की खबरें सामने आई थीं। इसके बाद स्थानीय लोगों में यह भय बैठ गया कि संदूक को कहीं और ले जाया जाएगा या यह पूरी तरह से विलुप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘किसी तरह की कोई दया नहीं दिखाई गई, उन्होंने बच्चों या बुजुर्गों की भी परवाह नहीं की। उन्होंने लोगों की हत्या कर दी और जो कुछ ले जा सकते थे, ले गए।’
Leave a Reply