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At Least 800 Worshippers Die Defending Ark Of Covenant In Ethiopia – इथोपिया में नरसंहार: पवित्र संदूक को बचाने के लिए 800 लोगों ने दी जान, जानिए पूरा मामला

February 22, 2021Leave a Comment

इथोपिया को प्रधानमंत्री अबी अहमद
– फोटो : twitter.com/AbiyAhmedAli


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पूर्वी अफ्रीकी देश इथोपिया के ईसाई समुदाय का दावा है कि यहां एक पवित्र संदूक (Ark of the Covenant) को एक्जम में जिओन के सेंट मैरी चर्च में सुरक्षा के घेरे में रखा गया है। एग्जम को इथोपिया के टाइग्रे क्षेत्र का सबसे पवित्र शहर माना जाता है। इसे लेकर सामने आई एक रोंगटे खड़ी कर देने वाली जानकारी के अनुसार पिछले साल नवंबर में इस पवित्र संदूक को बचाने के लिए 800 से अधिक लोगों ने अपनी जान दे दी थी।

इस भयावह नरसंहार की जानकारी अब जाकर दुनिया के सामने आ पाई है क्योंकि यह इलाके का बाहरी दुनिया के साथ संपर्क रोक दिया गया था। इसके लिए इथोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद ने इंटरनेट के साथ-साथ मोबाइल नेटवर्क पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने देश की सेना को स्थानीय नेतृत्व के खिलाफ तैनात कर दिया है।

दि सन वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार एक स्थानीय विश्वविद्यालय में प्रवक्ता गेटु माक बताते हैं कि संदूक को बचाने में कितने लोग मारे गए। 32 वर्षीय माक ने कहा, ‘जब लोगों ने गोलियां चलने की आवाज सुनीं वो संदूक को बचाने वालों का साथ देने के लिए चर्च पहुंच गए। निश्चित तौर पर कुछ लोगों की ऐसा करने में जान चली गई थी।’

एग्जम में रहने वाले चर्च के एक सदस्य (डीकन) ने बताया कि किस तरह उसने शवों को गिनने में, पीड़ितों के पहचान पत्र एकत्रित करने में और सामूहिक रूप से शवों को दफनाने में मदद की थी। उनका मानना है कि इस घटना में सरकार समर्थित बलों की इस गोलीबारी में करीब 800 लोग मारे गए थे। उन्होंने बताया कि लोगों के शव कई दिनों तक सड़कों पर पड़े रहे थे। 

गेटु बताते हैं कि नवंबर विवाद शुरू होने के बाद सैनिकों द्वारा कलाकृतियों की चोरी करने और उन्हें नष्ट करने की खबरें सामने आई थीं। इसके बाद स्थानीय लोगों में यह भय बैठ गया कि संदूक को कहीं और ले जाया जाएगा या यह पूरी तरह से विलुप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘किसी तरह की कोई दया नहीं दिखाई गई, उन्होंने बच्चों या बुजुर्गों की भी परवाह नहीं की। उन्होंने लोगों की हत्या कर दी और जो कुछ ले जा सकते थे, ले गए।’

उल्लेखनीय है कि अबी अहमद के शासन में जमीन और संसाधनों को लेकर जातीय हिंसा के मुद्दे लगातार सामने आते रहे हैं। अबी अप्रैल 2018 में इथोपिया के प्रधानमंत्री बने थे। नवंबर अंत में सरकारी बलों द्वारा क्षेत्रीय राजधानी मेकेल पर नियंत्रण हासिल करने के बाद टीपीएलएफ (टाइग्रे पीपल्स लिबनेशन फ्रंट) के खिलाफ उन्होंने जीत की घोषणा की थी। 

उनकी सरकार इन सब घटनाओं में उत्तर-पूर्वी अफ्रीकी देश एरित्री (Eritrea) की संलिप्तता से इनकार किया है। लेकिन, हाल ही में अपने इस दावे से जरूर पीछे हटी है कि इस अभियान में किसी नागरिक की जान नहीं गई थी। विदेश मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि उन इलाकों में दुष्कर्म, लूट और सामूहिक नरसंहार की घटनाएं हो सकती हैं जहां लोग अवैध हथियारों से लैस होंगे। 

मंत्रालय ने टाइग्रेयन लड़ाकों को क्षेत्र के पिछड़े रह जाने के लिए जिम्मेदार ठहराया। कई मानवीय संगठन चेतावनी दे चुके हैं कि यहां वैसी ही भुखमरी आ सकती है जिस स्तर की 1980 के दशक के दौरान आई थी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार टाइग्रे समुदाय की आबादी करीब 60 लाख है, जिसमें से 80 फीसदी आबादी मदद से दूर हैं। 

दिसंबर में इथोपिया में हुई एक जातीय हिंसा के दौरान कथित तौर पर हुए नरसंहार में कम से कम 102 सामान्य नागरिक मार दिए गए थे। यह हमला प्रधानमंत्री की वहां यात्रा के एक दिन बाद हुआ था। जिन्होंने विद्रोहियों से निपटने के लिए सेना को कार्रवाई करने की अनुमति दे दी थी। 

अबी अहमद को साल 2019 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह पुरस्कार एरित्री में 20 साल से चल रहे विवाक को समाप्त करने में उनके योगदान के लिए दिया गया था। हालांकि, वह अपने ही देश में जातीय हिंसा की घटनाओं से निपटने में नाराम साबित हो रहे हैं। इस समय इथोपिया में 90 से अधिक जातीय समूहों के बीच तनाव चल रहा है।

पूर्वी अफ्रीकी देश इथोपिया के ईसाई समुदाय का दावा है कि यहां एक पवित्र संदूक (Ark of the Covenant) को एक्जम में जिओन के सेंट मैरी चर्च में सुरक्षा के घेरे में रखा गया है। एग्जम को इथोपिया के टाइग्रे क्षेत्र का सबसे पवित्र शहर माना जाता है। इसे लेकर सामने आई एक रोंगटे खड़ी कर देने वाली जानकारी के अनुसार पिछले साल नवंबर में इस पवित्र संदूक को बचाने के लिए 800 से अधिक लोगों ने अपनी जान दे दी थी।

इस भयावह नरसंहार की जानकारी अब जाकर दुनिया के सामने आ पाई है क्योंकि यह इलाके का बाहरी दुनिया के साथ संपर्क रोक दिया गया था। इसके लिए इथोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद ने इंटरनेट के साथ-साथ मोबाइल नेटवर्क पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने देश की सेना को स्थानीय नेतृत्व के खिलाफ तैनात कर दिया है।

दि सन वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार एक स्थानीय विश्वविद्यालय में प्रवक्ता गेटु माक बताते हैं कि संदूक को बचाने में कितने लोग मारे गए। 32 वर्षीय माक ने कहा, ‘जब लोगों ने गोलियां चलने की आवाज सुनीं वो संदूक को बचाने वालों का साथ देने के लिए चर्च पहुंच गए। निश्चित तौर पर कुछ लोगों की ऐसा करने में जान चली गई थी।’

एग्जम में रहने वाले चर्च के एक सदस्य (डीकन) ने बताया कि किस तरह उसने शवों को गिनने में, पीड़ितों के पहचान पत्र एकत्रित करने में और सामूहिक रूप से शवों को दफनाने में मदद की थी। उनका मानना है कि इस घटना में सरकार समर्थित बलों की इस गोलीबारी में करीब 800 लोग मारे गए थे। उन्होंने बताया कि लोगों के शव कई दिनों तक सड़कों पर पड़े रहे थे। 

गेटु बताते हैं कि नवंबर विवाद शुरू होने के बाद सैनिकों द्वारा कलाकृतियों की चोरी करने और उन्हें नष्ट करने की खबरें सामने आई थीं। इसके बाद स्थानीय लोगों में यह भय बैठ गया कि संदूक को कहीं और ले जाया जाएगा या यह पूरी तरह से विलुप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘किसी तरह की कोई दया नहीं दिखाई गई, उन्होंने बच्चों या बुजुर्गों की भी परवाह नहीं की। उन्होंने लोगों की हत्या कर दी और जो कुछ ले जा सकते थे, ले गए।’

नियंत्रण नहीं बना पा रहे हैं नोबल शांति पुरस्कार विजेता प्रधानमंत्री अबी अहमद

उल्लेखनीय है कि अबी अहमद के शासन में जमीन और संसाधनों को लेकर जातीय हिंसा के मुद्दे लगातार सामने आते रहे हैं। अबी अप्रैल 2018 में इथोपिया के प्रधानमंत्री बने थे। नवंबर अंत में सरकारी बलों द्वारा क्षेत्रीय राजधानी मेकेल पर नियंत्रण हासिल करने के बाद टीपीएलएफ (टाइग्रे पीपल्स लिबनेशन फ्रंट) के खिलाफ उन्होंने जीत की घोषणा की थी। 

उनकी सरकार इन सब घटनाओं में उत्तर-पूर्वी अफ्रीकी देश एरित्री (Eritrea) की संलिप्तता से इनकार किया है। लेकिन, हाल ही में अपने इस दावे से जरूर पीछे हटी है कि इस अभियान में किसी नागरिक की जान नहीं गई थी। विदेश मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि उन इलाकों में दुष्कर्म, लूट और सामूहिक नरसंहार की घटनाएं हो सकती हैं जहां लोग अवैध हथियारों से लैस होंगे। 

मंत्रालय ने टाइग्रेयन लड़ाकों को क्षेत्र के पिछड़े रह जाने के लिए जिम्मेदार ठहराया। कई मानवीय संगठन चेतावनी दे चुके हैं कि यहां वैसी ही भुखमरी आ सकती है जिस स्तर की 1980 के दशक के दौरान आई थी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार टाइग्रे समुदाय की आबादी करीब 60 लाख है, जिसमें से 80 फीसदी आबादी मदद से दूर हैं। 

दिसंबर में इथोपिया में हुई एक जातीय हिंसा के दौरान कथित तौर पर हुए नरसंहार में कम से कम 102 सामान्य नागरिक मार दिए गए थे। यह हमला प्रधानमंत्री की वहां यात्रा के एक दिन बाद हुआ था। जिन्होंने विद्रोहियों से निपटने के लिए सेना को कार्रवाई करने की अनुमति दे दी थी। 

अबी अहमद को साल 2019 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह पुरस्कार एरित्री में 20 साल से चल रहे विवाक को समाप्त करने में उनके योगदान के लिए दिया गया था। हालांकि, वह अपने ही देश में जातीय हिंसा की घटनाओं से निपटने में नाराम साबित हो रहे हैं। इस समय इथोपिया में 90 से अधिक जातीय समूहों के बीच तनाव चल रहा है।


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नियंत्रण नहीं बना पा रहे हैं नोबल शांति पुरस्कार विजेता प्रधानमंत्री अबी अहमद

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