वॉरेन बफेट (फाइल फोटो)
– फोटो : Twitter/@TheWealthGent
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मालूम हो कि पिछले साल गर्मियों में जब बफेट ने सोना खरीदा था, उस दौरान सोने की कीमत 2,065 डॉलर प्रति औंस थी। बफेट सोने की बिक्री करना तब शुरू किया, जब सोने की कीमत 1,800 डॉलर प्रति औंस से नीचे आ गई। यानी इस निवेश से उन्हें 12.8 फीसदी नुकसान हुआ। दरअसल बफेट सोने को लेकर नकारात्मक नजरिए के लिए जाने जाते हैं। साल 1998 में उन्होंने सोने को बेकार चीज कहा था। बफेट ने कहा था कि इसका कोई व्यावहारिक इस्तेमाल नहीं है।
बैर्रिक गोल्ड कॉर्पोरेशन में बेचे शेयर
बफेट की कंपनी ने कनाडा की खनन कंपनी बैर्रिक गोल्ड कॉर्पोरेशन में 31.7 करोड़ डॉलर के शेयर बेच दिए हैं। कंपनी ने कुछ तिमाही पहले ही ये शेयर खरीदे थे। इन शेयरों को बेचने का फैसला उतना ही चौंकाने वाला था, जितना कि इन्हें खरीदने का।
अन्य कंपनियों ने भी गोल्ड पोजीशन में की कटौती
इसके अलावा इन्वेस्टमेंट कंपनियों ने भी गोल्ड पोजीशन में कटौती की। ब्लैक रॉक की एक रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा गया कि दुनिया के सबसे बड़े एसेट मैनेजर ने एसडीपीआर में करीब 3,414 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत के गोल्ड शेयर बेचकर सिल्वर ट्रस्ट में 2.9 करोड़ डॉलर (लगभग 211 करोड़ रुपये) कीमत की हिस्सेदारी खरीदी है।
पिछले साल 25 फीसदी बढ़ा सोना, चांदी में 50 फीसदी उछाल
कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और सरकारों द्वारा राजकोषीय उपायों ने पिछले साल सोने की कीमतों में 25 फीसदी से अधिक की वृद्धि की थी, जबकि चांदी लगभग 50 फीसदी बढ़ गई थी। सोने को मुद्रास्फीति और मुद्रा में आई गिरावट के खिलाफ बचाव के रूप में देखा जाता है। भारत में सोना अपने अगस्त के उच्च स्तर यानी 56,200 रुपये प्रति 10 ग्राम से काफी नीचे है।
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