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फाडा के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने कहा, लॉकडाउन के बाद बाजार मां भांपने में कंपनियां असमर्थ रहीं। वाहन उत्पादन कंपनियों को लगा था कि महामारी के दबाव में लोग पैसे बचाने की कोशिश करेंगे, न कि गाड़ियों खरीदेंगे।
स्थिति सामान्य होने पर इसका उल्टा असर पड़ा और लोगों ने निजी वाहन को तरजीह दी, जिससे कार की मांग बढ़ गई। कंपनियों ने इसकी पहले से तैयारी नहीं की थी और सेमीकंडक्टर की आपूर्ति भी कम रही। हालात ये है कि डीलर बुकिंग कराने के बाद वाहन कंपनियों को ऑर्डर भेजते हैं, लेकिन उत्पादन में देरी से लंबा इंतजार करना पड़ता है। क्रेटा,थॉर, सेल्टॉस जैसे मॉडल की वेटिंग 3-4 महीने की है।
क्यों जरूरी है सेमीकंडक्टर
किसी भी इलेक्टॉनिक उत्पाद के लिए सेमीकंडक्टर सबसे जरूरी उपकरण है। कच्चे माल वेफर की प्रोसेसिंग कर सेमीकंडक्टर बनाया जाता है,जो इस तरह के वाहन में इस्तेमाल होता है। भारत में सेमीकंडक्टर का सबसे ज्यादा आयात चीन, जापान, ताइवान और जर्मनी से होता है।
जून-जुलाई में सामान्य होंगे हालत
गुलाटी ने बताया कि कई ग्राहक डिलीवरी का समय ज्यादा होने पर अपनी बुकिंग रद्द करा दूसरी कंपनी की गाड़ियां खरीदने लगे हैं। ऐसे में सभी वाहन निर्माताओं ने सेमीकंडक्टर का आयाद बढ़ा दिया है और इसके निर्यातक देशों ने भी अपने उत्पादन में बढ़ोतरी की है।
अगले छह महीनों में हालत सामान्य होने की उम्मीद है। दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत की स्थितियां अब भी काफी बेहतर हैं, और मार्च तक वाहनों की डिलीवरी कुछ जगह सामान्य हो जाएगी। मारुति जैसी कंपनियों ने लॉकडाउन के दौरान भी सेमीकंडक्टर का आयात जारी रहा, जिससे वह आज भी हर महीने 1.4 लाख तक गाड़ियों बेच पा रही है।
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