कोरोना से प्रभावित हुई डायमंड इंडस्ट्री
– फोटो : pixabay
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इन कारकों से मिलेगा डायमंड की मांग को बढ़ावा
यह रिपोर्ट कंसल्टेंट फर्म बेन द्वारा तैयार की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन नीति, सरकारी समर्थन व ऑनलाइन सेल्स की ओर फुटकर विक्रेताओं के रुझान की भी डायमंड की मांग को बढ़ावा देने के लिए अहम भूमिका होगी। वैश्विक डायमंड उद्योग साल 2020 के पहले से ही मंदी की मार झेल रही थी।
हीरे की मांग व उत्पादन में भारी गिरावट
इसके बाद कोविड-19 महामारी की वजह से वैश्विक डायमंड उद्योग की मुश्किलें और भी बढ़ गईं। पिछले साल हीरों के उत्पादन में 20 फीसदी तक की भारी गिरावट आई। वहीं रफ डायमंड की बिक्री में 33 फीसदी तक की कमी आई है। मांग और उत्पादन में आई कमी से माइनिंग कंपनियों का प्रॉफिट मार्जिन भी 22 फीसदी तक कम हो गया है।
भारत में ऐसा है डायमंड उद्योग का हाल
भारत में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन, मंदी और शादियों पर लगी रोक के कारण हीरों की खुदरा बिक्री में 26 फीसदी की गिरावट आई है। रिपोर्ट में लगाए गए अनुमान के मुताबिक चीन में डायमंड ज्वैलरी की मांग इस साल पूरी तरह से रिकवर हो जाएगी। वहीं भारत में इसे कोविड-19 के पहले के स्तर पर आने में चीन की तुलना में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है।
विश्व का तीसरा सबसे बड़ा डायमंड बाजार है भारत
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की बात करें, तो अमेरिका में साल 2022-23 तक मांग पुराने स्तर पर लौट सकती है। मामले में विशेषज्ञों ने कहा कि साल 2009 में भी वित्तीय संकट से भारत में जेम्स व ज्वैलरी की मांग घट गई थी। मौजूदा समय में अमेरिका व चीन के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा डायमंड बाजार है। डायमंड माइनिंग कंपनी डी-बियर्स के एक सर्वे के अनुसार, भारत के मध्यम वर्ग में हीरों के प्रति रुझान सालाना 12 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। भारत और पड़ोसी देश चीन में 60 से 70 फीसदी लोग यह मानते हैं कि शादी के लिए डायमंड का तोहफा देना अच्छी चीज है।
पूरी क्षमता से काम कर रही है सूरत की डायमंड इंडस्ट्री
सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष नानूभाई वेकरिया ने कहा है कि विश्वभर का 95 फीसदी रफ डायमंड पॉलिश होने के लिए सूरत आता है। सूरत की डायमंड इंडस्ट्री पूरी क्षमता से काम कर रही है। फिलहाल कामगार भी वापस लौट आए हैं। आयात-निर्यात पुराने स्तर पर लौट आया है।
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