सार
लखनऊ डीआरआई का दावा है कि मारुति सुजुकी मोटर जनरेटर यूनिट या स्मार्ट हाइब्रिड व्हीकल फ्रॉम सुजुकी (SVHS) टेक्नोलॉजी वाले इंजन के लिए अल्टरनेटर का प्रयोग कर रही है। यह तकनीक पूरी तरह से हाइब्रिड टेक्नोलॉजी नहीं है…
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देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की कई कारों में हाइब्रिड सिस्टम आता है, लेकिन अब उसी तकनीक पर सरकार की एक जांच एजेंसी सवाल उठा रही है। मारुति की बलेनो, सियाज, अर्टिगा, एस-क्रॉस और विटारा ब्रेजा में SVHS हाइब्रिड सिस्टम लगा आता है। लेकिन डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने इस सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कंपनी को नोटिस जारी किया है।
एक और नोटिस भेजने की तैयारी
राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) और सीमा शुल्क अधिकारियों ने मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड पर 71 करोड़ रुपये के शुल्क पर सवाल उठाया है और कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जांच एजेंसी ने अर्टिगा, सियाज और एस-क्रॉस के लिए ‘संदिग्ध’ हाइब्रिड टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के लिए यह नोटिस भेजा है। कस्टम सूत्रों के मुताबिक डीआरआई लखनऊ की शाखा ने मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड को 71 करोड़ रुपये के लिए 105 पेज का नोटिस जारी किया है। वहीं सूत्रों का कहना है कि इसी मामले में एक और नोटिस भेजने की तैयारी हो रही है, जिसमें 70 करोड़ रुपये की कथित शुल्क चोरी का आरोप है। वहीं मारुति सुजुकी ने इस मामले को विवादित बताया है और कंपनी ने फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है और कहा है कि वह इस मामले में जरूरी कानूनी सलाह लेगी।
क्या है मामला
वहीं मारुति सुजुकी ने इस मामले को विवादित बताया है और कंपनी ने फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है और कहा है कि वह इस मामले में जरूरी कानूनी सलाह लेगी। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला 2019 में प्रकाश में आया था, जब इस मामले में लखनऊ डीआरआई ने जांच शुरू की तो पता चला कि कंपनी मारुति सुजुकी मोटर जनरेटर यूनिट (एमजीय़ू) या स्मार्ट हाइब्रिड व्हीकल फ्रॉम सुजुकी (SVHS) टेक्नोलॉजी वाले इंजन के लिए अल्टरनेटर का प्रयोग कर रही है। जांच एजेंसी का कहना है कि यह तकनीक पूरी तरह से हाइब्रिड टेक्नोलॉजी नहीं है।
हाइब्रिड नहीं कुछ और!
सरकार ने 2017 में कारों में हाइब्रिड टेक्नोलॉजी के निर्माण पर वाहन निर्माता कंपनियों को सीमा शुल्क में छूट देने का एलान किया था। टैक्स एजेंसियों का कहना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक मोटर और इंटरनल कंबशन इंजन को चलाने के लिए उपयोग की जाती है, लेकिन इसमें माइक्रो हाइब्रिड मोटर व्हीकल को ‘स्टार्ट और स्टॉप’ टेक्नोलॉजी को शामिल नहीं किया गया है, जो सिर्फ खड़े वाहन में ही बैटरी से चलने वाली मोटर का इस्तेमाल करते हैं।
क्या है SVHS और हाइब्रिड में अंतर
मारुति पर आरोप है कि वह साधारण कार अल्टरनेटर या एमजीयू का आयात करके उसे सॉफ्टवेयर के साथ ‘हेरफेर’ करके उसे कस्टम क्लीयरेंस के लिए हाइब्रिड मोटर व्हीकल्स के पुर्जो के तौर पर घोषित करती है। जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, कंपनी बाद में उसी इक्विपमेंट को SVHS या स्मार्ट हाइब्रिड बता कर ग्राहकों को बेचती है। लेकिन SVHS के तीन काम होते हैं, जिसमें ऑटो स्टार्ट स्टॉप, रिजनरेटिव ब्रेकिंग और टॉर्क असिस्ट शामिल है। लेकिन पूरी तरह से हाइब्रिड कार में इलेक्ट्रिक मोटर और पेट्रोल के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे ईंधन की बचत होती है और बेहतरीन माइलेज मिलता है।
विस्तार
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की कई कारों में हाइब्रिड सिस्टम आता है, लेकिन अब उसी तकनीक पर सरकार की एक जांच एजेंसी सवाल उठा रही है। मारुति की बलेनो, सियाज, अर्टिगा, एस-क्रॉस और विटारा ब्रेजा में SVHS हाइब्रिड सिस्टम लगा आता है। लेकिन डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने इस सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कंपनी को नोटिस जारी किया है।
एक और नोटिस भेजने की तैयारी
राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) और सीमा शुल्क अधिकारियों ने मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड पर 71 करोड़ रुपये के शुल्क पर सवाल उठाया है और कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जांच एजेंसी ने अर्टिगा, सियाज और एस-क्रॉस के लिए ‘संदिग्ध’ हाइब्रिड टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के लिए यह नोटिस भेजा है। कस्टम सूत्रों के मुताबिक डीआरआई लखनऊ की शाखा ने मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड को 71 करोड़ रुपये के लिए 105 पेज का नोटिस जारी किया है। वहीं सूत्रों का कहना है कि इसी मामले में एक और नोटिस भेजने की तैयारी हो रही है, जिसमें 70 करोड़ रुपये की कथित शुल्क चोरी का आरोप है। वहीं मारुति सुजुकी ने इस मामले को विवादित बताया है और कंपनी ने फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है और कहा है कि वह इस मामले में जरूरी कानूनी सलाह लेगी।
क्या है मामला
वहीं मारुति सुजुकी ने इस मामले को विवादित बताया है और कंपनी ने फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है और कहा है कि वह इस मामले में जरूरी कानूनी सलाह लेगी। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला 2019 में प्रकाश में आया था, जब इस मामले में लखनऊ डीआरआई ने जांच शुरू की तो पता चला कि कंपनी मारुति सुजुकी मोटर जनरेटर यूनिट (एमजीय़ू) या स्मार्ट हाइब्रिड व्हीकल फ्रॉम सुजुकी (SVHS) टेक्नोलॉजी वाले इंजन के लिए अल्टरनेटर का प्रयोग कर रही है। जांच एजेंसी का कहना है कि यह तकनीक पूरी तरह से हाइब्रिड टेक्नोलॉजी नहीं है।
हाइब्रिड नहीं कुछ और!
सरकार ने 2017 में कारों में हाइब्रिड टेक्नोलॉजी के निर्माण पर वाहन निर्माता कंपनियों को सीमा शुल्क में छूट देने का एलान किया था। टैक्स एजेंसियों का कहना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक मोटर और इंटरनल कंबशन इंजन को चलाने के लिए उपयोग की जाती है, लेकिन इसमें माइक्रो हाइब्रिड मोटर व्हीकल को ‘स्टार्ट और स्टॉप’ टेक्नोलॉजी को शामिल नहीं किया गया है, जो सिर्फ खड़े वाहन में ही बैटरी से चलने वाली मोटर का इस्तेमाल करते हैं।
क्या है SVHS और हाइब्रिड में अंतर
मारुति पर आरोप है कि वह साधारण कार अल्टरनेटर या एमजीयू का आयात करके उसे सॉफ्टवेयर के साथ ‘हेरफेर’ करके उसे कस्टम क्लीयरेंस के लिए हाइब्रिड मोटर व्हीकल्स के पुर्जो के तौर पर घोषित करती है। जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, कंपनी बाद में उसी इक्विपमेंट को SVHS या स्मार्ट हाइब्रिड बता कर ग्राहकों को बेचती है। लेकिन SVHS के तीन काम होते हैं, जिसमें ऑटो स्टार्ट स्टॉप, रिजनरेटिव ब्रेकिंग और टॉर्क असिस्ट शामिल है। लेकिन पूरी तरह से हाइब्रिड कार में इलेक्ट्रिक मोटर और पेट्रोल के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे ईंधन की बचत होती है और बेहतरीन माइलेज मिलता है।
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