सार
इस साल की शुरुआत में जब से FASTag को वाहनों के लिए अनिवार्य किया गया, रियायत को लेकर स्थानीय लोगों और टोल कंपनियों के बीच अक्सर हंगामा होता रहा है। कर्नाटक के तटीय इलाके में, जब अधिकारियों ने ग्रामीणों की बात नहीं सुनी तो उन्होंने मामले को अपने हाथों में ले लिया ।
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हेजामादी गांव के रहनेवाले लोगों ने अब टोल बूथ को बायपास करने के लिए एक पैरलल (समानांतर) सड़क बना दी है। लोगों ने इस नई सड़क को काफी व्यस्त मंगलूरू-उडुपी हाईवे पर बनाया है। इस साल की शुरुआत में फास्टैग को लागू करने की डेडलाइन को और आगे नहीं बढ़ाया गया और इसे अनिवार्य कर दिया गया, तब भी हेजामादी के निवासियों को कुछ रियायत दी गई थी। हालांकि, इस गांव से यात्रियों को ले जाने वाली चार बसों को कोई रियायत नहीं मिली।
ग्राम पंचायत ने इस मुद्दे को उठाया और बसों के लिए भी रियायत की मांग करते हुए एक प्रार्थना दायर की। जिसके बाद अधिकारियों ने गांव से यात्रियों को लेने के लिए आने वाली बसों को रियायत देने का वादा किया। हालांकि, यह आश्वासन कभी हकीकत नहीं बन पाया। काफी समय तक इंतजार के बाद थककर आखिरकार ग्राम पंचायत ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई और टोल प्लाजा से पिंड छुड़ाने का फैसला किया।
ग्रामीणों ने एक JCB मशीन को किराए पर लिया और टोल बूथों को बायपास करने के लिए एक अस्थायी सड़क का निर्माण कर डाला। यह नई सड़क टोल प्लाजा को बायपास करने के लिए मुख्य सड़क के साथ बनाई गई है। नई सड़क बनाए जाने की खबर मिलने के बाद अधिकारी मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों ने विरोध किया और नई सड़क का निर्माण जारी रहा।
ग्रामीणों ने मांग की कि अधिकारी पहले उनकी मांगों को पूरा करें। अधिकारियों और ग्रामीणों के बीच लंबी बातचीत चली जिसके बाद, एक लिखित आश्वासन दिया गया था कि वे भविष्य में बसों को रियायत देंगे। हालांकि, बसों ने अस्थायी सड़कों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों का दावा है कि स्थानीय लोग टोल शुल्क का भुगतान नहीं करना चाहते हैं और मुफ्त में आवाजाही करना चाहते हैं। एनएचएआई ने ग्रामीणों को पास भी जारी कर दिए हैं। हालांकि, फास्टैग को लागू किए जाने के बाद, टोल गेट पर इस तरह का कोई भौतिक पास काम नहीं करता है। यहां तक कि जिन ग्रामीणों को छूट चाहिए, उन्हें भी फास्टैग लगाना होगा और फिर रियायत लेनी होगी।
नए नियमों के कारण, दावानहल्ली के पास एयरपोर्ट टोल प्लाजा पर विरोध प्रदर्शन किया गया। स्थानीय लोगों ने टोल-फ्री सड़क की मांग करते हुए विरोध किया। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उन्हें एक विकल्प मिलना चाहिए, जिससे वे अपने घरों तक पहुंचने के लिए टोल-फ्री सड़क का इस्तेमाल कर सकें। देश में कुछ ऐसे टोल प्लाजा हैं जो स्थानीय वाहनों के लिए एक टोल-फ्री सड़क मुहैया कराते हैं। हालांकि, वह विकल्प हेजामादी के निवासियों के लिए उपलब्ध नहीं कराया गया।
हेजामादी टोल वर्ष 2018 के आसपास बनाया गया था। यहां 110 रुपये का टोल शुल्क लिया जाता है। इस टोल से सिर्फ दो किलोमीटर दूर पर ही एक और टोल बूथ है जहां 90 रुपये का टोल शुल्क वसूला जाता है। स्थानीय लोगों ने विरोध किया और मांग की थी कि फास्टैग को अनिवार्य करने से पहले इन दोनों टोल गेट को मिला दिया जाना चाहिए। भले ही स्थानीय अधिकारियों ने 2018 में सुरथकल टोल प्लाजा को हेजामादी टोल के साथ विलय को मंजूरी दे दी हो, लेकिन एनएचएआई ने इसे मिलाने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की।
विस्तार
FASTag (फास्टैग) को टोल प्लाजा पर होने वाली समस्याएं और जाम की परेशानी को दूर करने के लिए एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में देखा गया है। लेकिन कहीं-कहीं यह बड़ी मुसीबत भी बना है। हेजामादी टोल प्लाजा पिछले काफी समय से सुर्खियों में है। इस साल की शुरुआत में जब से FASTag को वाहनों के लिए अनिवार्य किया गया, रियायत को लेकर स्थानीय लोगों और टोल कंपनियों के बीच अक्सर हंगामा होता रहा है। स्थानीय लोगों की मांग है कि एक अन्य विकल्प के रूप में टोल-फ्री सेवा दी जाए। कर्नाटक के तटीय इलाके में, जब अधिकारियों ने ग्रामीणों की बात नहीं सुनी तो उन्होंने मामले को अपने हाथों में ले लिया।
कहां बनी यह बायपास सड़क
ग्राम पंचायत ने इस मुद्दे को उठाया और बसों के लिए भी रियायत की मांग करते हुए एक प्रार्थना दायर की। जिसके बाद अधिकारियों ने गांव से यात्रियों को लेने के लिए आने वाली बसों को रियायत देने का वादा किया। हालांकि, यह आश्वासन कभी हकीकत नहीं बन पाया। काफी समय तक इंतजार के बाद थककर आखिरकार ग्राम पंचायत ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई और टोल प्लाजा से पिंड छुड़ाने का फैसला किया।
बना डाली नई सड़क
ग्रामीणों ने मांग की कि अधिकारी पहले उनकी मांगों को पूरा करें। अधिकारियों और ग्रामीणों के बीच लंबी बातचीत चली जिसके बाद, एक लिखित आश्वासन दिया गया था कि वे भविष्य में बसों को रियायत देंगे। हालांकि, बसों ने अस्थायी सड़कों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।
NHAI की दलील
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों का दावा है कि स्थानीय लोग टोल शुल्क का भुगतान नहीं करना चाहते हैं और मुफ्त में आवाजाही करना चाहते हैं। एनएचएआई ने ग्रामीणों को पास भी जारी कर दिए हैं। हालांकि, फास्टैग को लागू किए जाने के बाद, टोल गेट पर इस तरह का कोई भौतिक पास काम नहीं करता है। यहां तक कि जिन ग्रामीणों को छूट चाहिए, उन्हें भी फास्टैग लगाना होगा और फिर रियायत लेनी होगी।
टोल-फ्री सड़क की मांग
नए नियमों के कारण, दावानहल्ली के पास एयरपोर्ट टोल प्लाजा पर विरोध प्रदर्शन किया गया। स्थानीय लोगों ने टोल-फ्री सड़क की मांग करते हुए विरोध किया। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उन्हें एक विकल्प मिलना चाहिए, जिससे वे अपने घरों तक पहुंचने के लिए टोल-फ्री सड़क का इस्तेमाल कर सकें। देश में कुछ ऐसे टोल प्लाजा हैं जो स्थानीय वाहनों के लिए एक टोल-फ्री सड़क मुहैया कराते हैं। हालांकि, वह विकल्प हेजामादी के निवासियों के लिए उपलब्ध नहीं कराया गया।
टोल के विलय के लिए विरोध
हेजामादी टोल वर्ष 2018 के आसपास बनाया गया था। यहां 110 रुपये का टोल शुल्क लिया जाता है। इस टोल से सिर्फ दो किलोमीटर दूर पर ही एक और टोल बूथ है जहां 90 रुपये का टोल शुल्क वसूला जाता है। स्थानीय लोगों ने विरोध किया और मांग की थी कि फास्टैग को अनिवार्य करने से पहले इन दोनों टोल गेट को मिला दिया जाना चाहिए। भले ही स्थानीय अधिकारियों ने 2018 में सुरथकल टोल प्लाजा को हेजामादी टोल के साथ विलय को मंजूरी दे दी हो, लेकिन एनएचएआई ने इसे मिलाने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की।
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