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You are here: Home / Sports / India vs England Day Night Test in Motera SG Pink Ball Company Director Paras Anand Interview | मोटेरा टेस्ट में 36 पिंक बॉल का ऑर्डर, डे-नाइट टेस्ट में टीम इंडिया 36 रन पर ऑलआउट हो चुकी

India vs England Day Night Test in Motera SG Pink Ball Company Director Paras Anand Interview | मोटेरा टेस्ट में 36 पिंक बॉल का ऑर्डर, डे-नाइट टेस्ट में टीम इंडिया 36 रन पर ऑलआउट हो चुकी

February 21, 2021Leave a Comment

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अहमदाबाद9 मिनट पहलेलेखक: मनन वाया

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भारत और इंग्लैंड के बीच 4 टेस्ट की सीरीज का तीसरा मैच 24 फरवरी से मोटेरा स्टेडियम में खेला जाएगा। अहमदाबाद में बने दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में दर्शकों की क्षमता 1 लाख 10 हजार है। यह टेस्ट इस इस नए स्टेडियम का पहला इंटरनेशनल मैच होगा। मैच के लिए टीम मैनेजमेंट ने 36 बॉल का ऑर्डर दिया है। संयोग की बात है कि टीम इंडिया अपने पहले विदेशी डे-नाइट टेस्ट की दूसरी पारी में 36 रन पर ऑलआउट हुई थी।

एक टेस्ट की पारी में टीम इंडिया का यह सबसे छोटा स्कोर रहा था। इस डे-नाइट टेस्ट को लेकर दैनिक भास्कर ने पिंक बॉल बनाने वाली कंपनी SG (Sanspareils Greenlands) के डायरेक्टर पारस आनंद से विशेष बातचीत की है।

पारस आनंद ने बताया कि एक बार हमें टीम इंडिया की ओर से सूचना मिली थी कि पिंक बॉल की सीम (सिलाई) बहुत ग्लोसी होती है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। क्योंकि, इससे बॉल को ग्रिप करवाने में मुश्किल आती है। हमने पिंक बॉल को लेकर टीम की परेशानियों को समझा और इसमें सुधार किया। इसके अलावा बॉल अच्छी तरह शाइन हो, उसके लिए बॉल में कलर स्प्रे (लेयर) की एक्स्ट्रा लेयर भी लगाई है।

भारत में खेला गया एकमात्र पिंक टेस्ट में 350+ रन का स्कोर नहीं बना था
कोलकाता में बांग्लादेश के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट भारत आसानी से पारी और 46 रन से जीत गया था। मैच में 350 से ज्यादा रन का स्कोर नहीं बन सका था। इसकी वजह के बारे में पारस आनंद ने बताया कि पिंक बॉल से मैच के लिए पिच काफी अहम होती है। पिच पर घास हो तो फास्ट बॉलिंग में मदद मिलती है। बॉल पिच पर गिरने के बाद स्किड होती है यानी कि टप्पा खाने के बाद तेजी से उठती है। इसी वजह से इस मैच में 350 रन क्रॉस नहीं हो सके थे।

भारत ने अपना पहला पिंक बॉल टेस्ट बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्डन्स में 22 से 24 नवंबर तक खेला था। बांग्लादेश ने पहली पारी में 106 रन बनाए थे और इसके जवाब में भारत ने विराट कोहली के 136 रन की पारी के बदौलत 9 विकेट पर 347 के स्कोर पर पारी घोषित कर दी थी। बांग्लादेश दूसरी पारी में 195 रन पर सिमट गई थी। इससे भारत ने यह मैच पारी और 46 रन से जीत लिया था। मैच में 9 विकेट लेने वाले ईशांत शर्मा प्लेयर ऑफ द मैच बने थे।

36 रन पर ऑलआउट होने के बाद क्या प्रतिक्रिया थी?
एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिंक बॉल टेस्ट में भारतीय टीम दूसरी पारी में सिर्फ 36 रन पर ऑलआउट हो गई थी। क्या उस मैच के बाद टीम इंडिया की तरफ से कोई सुझाव आया था? इस पर पारस ने बताया, ‘वह मैच तो कुकाबूरा बॉल से खेला गया था। इसी के चलते हमारे पास कोई क्वैरी नहीं आई थी। अगर आपने मैच देखा है, तो आप जानते होंगे कि भारत ने पहली पारी में अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन, दूसरी पारी में यह कहा जा सकता है कि वह पूरी टीम के लिए खराब दिन था। बॉल एज-एज पर लगती गई और एक के बाद एक खिलाड़ी कैच होकर पवैलियन लौटते चले गए। इस समय कोहली पैडटरनिटी लीव के लिए भारत लौट आए थे, तब स्टैंड-इन-कैप्टन आजिंक्य रहाणे ने भी कहा था कि इस समय उसके बारे में विचार नहीं कर रहे हैं। हमारा फोकस फिलहाल नई और अच्छी शुरुआत करने पर है और उन्होंने ऐसा कर भी दिखाया था।’

डे-नाइट टेस्ट पर ओस का असर
पारस कहते हैं कि डे-नाइट टेस्ट में मैदान पर ओस गिरने का असर तो होगा ही। इसका सीधा असर लेदर बॉल पर होता है। सभी खिलाड़ी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ भी हैं। यह स्थिति दोनों टीमों के लिए चैलेंजिंग होती है। हालांकि, ईडन गार्डंस में हुए पहले टेस्ट की स्थिति हमारी आशानुरूप रही थी। इस दौरान 60-60 ओवर की इनिंग्स हुई और बॉल भी हार्ड रही। इसमें ईशांत शर्मा और मोहम्मद शामी ने अच्छी बॉलिंग की थी।

टेस्ट के लिए 36 बॉल का ऑर्डर मिला
अब मोटेरा में होने जा रहे तीसरे टेस्ट मैच के लिए हमें फिलहाल 36 बॉल का ऑर्डर मिला है। मैच के अलावा प्रैक्टिस भी इसी बॉल से ही होगी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम मात्र 36 रनों पर ऑलआउट हो गई थी। इस बार टीम ने 36 बॉल का ही ऑर्डर दिया था। इसे संयोग कहा जा सकता है।

पिंक कलर ही क्यों?
डे-नाइट टेस्ट के लिए यलो और ऑरेंज कलर की बॉल का सबसे पहले प्रयोग किया गया था। हालांकि, ये दोनों ही कलर टीवी कैमरे में साफ नजर नहीं आते थे। फ्लडलाइट्स में तो इसे देखना काफी मुश्किल होता था। इसी के चलते बाद में पिंक बॉल को चुना गया। पिंक कलर के साथ 16 अन्य कलर्स के साथ इसके शेड को अंतिम रूप दिया गया था।

‘लेयर की एक्स्ट्रा लेयर’ ही रेड और पिंक बॉल के बीच एकमात्र अंतर
पिंक बॉल को भी रेड बॉल की तरह ही बनाया गया है। इसमें अंतर सिर्फ इतना है कि पिंक बॉल को बनाने के लिए तेल का उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन रात में बॉल साफ दिखाई दे, इसके लिए इस पर एक्स्ट्रा लेयर (कलर स्प्रे) का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा पिंक बॉल को रेड बॉल की तरह डाई से रंगा जाता है और थ्रेडिंग भी उसी तरह से ही की जाती है। रेड बॉल की तुलना में पिंक बॉल पर लेकर की एक अतिरिक्त परत होती है, जिसके परिणामस्वरूप पिंक बॉल शुरुआती 10-15 ओवरों में रेड बॉल की तुलना में ज्यादा स्विंग होती है। रेड बॉल की तरह, पिंक बॉल का वजन भी 156 से 163 ग्राम के बीच होता है। हालांकि, पिंक बॉल की खासियत यह है कि इसकी चमक लंबे समय तक बनी रहती है।

SG बॉल स्पिनर्स के लिए मददगार
भारत अकेला ऐसा देश है, जो SG कंपनी द्वारा बनाई गई बॉल का उपयोग करता है। यह बॉल केवल भारत में ही बनती है। इस बॉल का सिम उल्टा है। इसकी सिलाई भी ड्यूक की तरह हाथ से की जाती है। इस बॉल को स्पिनर्स के लिए मददगार माना जाता है। बॉल में नए बदलावों के बाद अब स्पिनर्स को स्पिन करवाने के अलावा स्पीड से बॉलिंग करने में मदद मिलती है।

SG कंपनी की कहानी
1931 में केदारनाथ और द्वारकानाथ आनंद नाम के दो भाइयों ने सियालकोट में इस कंपनी की शुरुआत की थी। देश के विभाजन के बाद परिवार आगरा आ गया था। 1950 में कंपनी को मेरठ से दोबारा लॉन्च किया गया। 1994 से देश में खेले जाने वाले टेस्ट में एसजी कंपनी की बॉल का उपयोग हो रहा है।

बॉल्स के यूज को लेकर ICC के कोई नियम नहीं
पारस ने बताया, बॉल के इस्तेमाल को लेकर इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के कोई खास दिशा-निर्देश नहीं हैं। इसी के चलते सभी देश अपने बोर्ड के हिसाब से बॉल का इस्तेमाल करते हैं। जिस देश में सीरीज होती है, वह देश अपनी पसंद के हिसाब से बॉल का सिलेक्शन करता है। कोई देश चाहे तो एक सीरीज अलग बॉल से और दूसरी सीरीज अलग बॉल से खेलने की डिमांड कर सकता है।

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