संयोग ही है कि जिस दिन निर्माता रमेश बहल की फिल्म जवानी दिवानी की रिलीज के 48 साल पूरे हो रहे हैं, उसी दिन उनकी सुपुत्री सृष्टि बहल जो कि अब नेटफ्लिक्स की भारत में इंटरनेशनल ओरिजिनल्स की निदेशक है, उनसे ई मुलाकात भी हुई। सृष्टि के चेहरे पर फिल्म की वर्षगांठ की बात सुनकर जो मुस्कान दिखी, वही रमेश बहल की असली थाती है। न तब जंजीर रिलीज हुई थी और न ही जया भादुड़ी के नाम के साथ बच्चन जुड़ा था। दोनों खूब मिलते थे। कभी छुप छुप कर तो कभी खुल्लम खुल्ला। जया भादुड़ी के फिल्मों के सेट पर अमिताभ बच्चन का पहुंचना आम हुआ करता था लेकिन जया भादुड़ी का पश्चिमी पहनावे में दिखना उतना आम नहीं था।
एक घरेलू सी, सुंदर दिखने वाली लड़की जो कुछ बंगाली फिल्में करने के बाद साल भर पहले ही फिल्म गुड्डी में अपनी छाप छोड़ने में सफल रही, उसने फिल्म जवानी दिवानी तक आते आते लाज को अपनी अदा बनाया और पहली बार ये भी दिखाया कि शोखियां सिर्फ हुस्न परियां ही नहीं बल्कि घरेलू लड़कियां भी दिखा सकती हैं। जया भादुड़ी और रणधीर कपूर की ये फिल्म जवानी दिवानी ही हमारे आज के बाइस्कोप की फिल्म है। लेकिन, आज का किस्सा आगे बढ़ाने से पहले आपको ये गाना देखना जरूरी है क्योंकि ये गाना ही फिल्म जवानी दिवानी की आत्मा को महसूस करने में आपकी मदद करेगा।
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