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- Learn The Lesson Of Becoming Effective And Helpful With Your Tongue, Quit Hardness And Learn Humility
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एक दिन पहले
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- लम्बे समय तक कारगर और मददगार बने रहने का सबक़ जीभ से सीखना चाहिए, ख़ासतौर पर उस जीभ से जिसने कभी कटु वचन ना बोले हों।
एक साधु बहुत बूढ़े हो गए थे। उनके जीवन के आख़िरी क्षण आ पहुंचे। उन्होंने अपने शिष्यों को बुलाया। जब वे सब उनके पास आ गए, तो उन्होंने अपना मुंह पूरा खोल दिया और शिष्यों से बोले, ‘देखो, मेरे मुंह में कितने दांत बच गए हैं?’
शिष्यों ने उनके पोपले मुंह के अंदर देखते हुए कहा, ‘महाराज, आपका तो एक भी दांत शेष नहीं है।’
साधु बोले, ‘देखो, मेरी जीभ तो बची हुई है ना?’
सबने साथ में उत्तर दिया, ‘जी हां, जीभ अवश्य बची हुई है।’
साधु ने कहा, ‘जीभ तो मेरे जन्म के साथ से मेरे साथ है, और आज भी बची हुई है, जबकि दांत तो बाद में आए फिर भी पहले विदा हो गए।’
फिर सारे शिष्यों ने इसका भेद जानने के लिए प्रश्न किया ‘यह कैसे हुआ कि दांत कोई भी ना बचा और जीभ सलामत है?’
संत ने बताया, ‘यही रहस्य बताने के लिए मैंने इस वेला में तुम्हें बुलाया है। इस जीभ में माधुर्य था, मिठास थी और यह ख़ुद भी कोमल थी, इसलिए आज भी मेरे पास है, परंतु दांतों में शुरू से ही कठोरता थी, इसलिए वे पीछे आकर भी पहले ख़त्म हो गए, अपनी कठोरता के कारण ये दीर्घजीवी नहीं हो सके। इसलिए दीर्घजीवी होना चाहते हो, तो कठोरता छोड़ो और विनम्रता सीखो।’
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