- Hindi News
- Madhurima
- Leaves Show The Health Of The Plants, Fulfill The Needs Of Plants With These Suggestions
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
आशीष कुमार4 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

- पौधों की पत्तियां गर पीली पड़ जाएं या छोटी रह जाएं, असमय झड़ें, तो समझें कि उन्हें पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल रहे हैं। इनकी कमी को पहचानें, जानिए कैसे …
पौधों को भी स्वस्थ रहने के लिए पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। पौधों की बीमारियों की नब्ज़ उनकी पत्तियों में छिपी है। लिहाज़ा पौधों के बीमार होते ही पत्तियां रंग बदलने लगती हैं। कई बार पत्तियों की रंगत और पौधे ख़ुद बताते हैं कि उनमें किस पोषक तत्व की कमी है। पौधे पोषक तत्वों की कमी विशेष रूप से नई और पुरानी पत्तियों पर, फूलों और कलियों और मुलायम तनों पर प्रतिक्रिया करते हैं। ऐसे में इन तत्वों की कमी को पहचानकर आवश्यक तत्व बाज़ार से ख़रीद सकते हैं, साथ में ऑर्गेनिक उपचार कर सकते हैं।
जब पौधे हल्के पीले या छोटे हो जाएं
कभी पौधे की निचली पत्तियां पीली होने लगती हैं। पौधे हल्के हरे या पीले रंग के होकर बौने ही रह जाते हैं। पौधे की बढ़वार का रुकना, कल्ले कम बनना, फूलों का कम आना नाइट्रोज़न की कमी के संकेत हैं। फॉस्फोरस की कमी से पौधों की पत्तियों का रंग हल्का बैगनी या भूरा हो जाता है। पत्तियों का आकार छोटा रह जाता है। पौधों की जड़ों की वृद्धि और विकास बहुत कम हो जाती है। कभी-कभी जड़ें सूख भी जाती हैं। अधिक कमी के कारण तने का रंग गहरा पीला पड़ जाता है, फल या बीज का निर्माण सही तरीक़े से नहीं होता है। वहीं पोटैशियम की कमी से पत्तियां भूरी और धब्बेदार हो जाती हैं। साथ ही पत्तियों के बाहरी किनारे फट जाते हैं और पत्तियां समय से पहले गिर जाती हैं। आलू में कन्द छोटे और जड़ों का विकास कम हो जाता है। पौधों में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया कम और श्वसन की क्रिया अधिक हो जाती है।
उपचार- घर की बगिया में नाइट्रोज़न, फॉस्फोरस और पोटैशियम की पूर्ति के लिए डीएपी, एनपीके, यूरिया, पोटाश आदि डालते हैं। यूरिया को पानी में मिलाकर घोल के रूप में भी स्प्रे किया जा सकता है।
पत्तियां सफ़ेद और तने छोटे हो जाएं
कैल्शियम की कमी होने पर प्राथमिक पत्तियां देर से निकलती हैं। नई कलियां ख़राब हो जाती हैं। फल और कलियां अपरिपक्व दशा में मुरझा जाती हैं। सल्फर की कमी से सबसे पहले नई पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और बाद में सफ़ेद हो जाती हैं। तने छोटे रह जाते हैं और पीले पड़ जाते हैं। पत्तियां शिराओं सहित गहरे हरे रंग से पीले रंग में बदल जाती हैं।
उपचार- कैल्शियम और सल्फर पोषक तत्व की कमी को पूर्ति करने के लिए जिप्सम का उपयोग किया जा सकता है। इसे पौधों पर छिड़क सकते हैं।
पत्तियां अलग-अलग भाग से रंग बदलें
कभी पत्तियां आकार में छोटी और ऊपर की ओर मुड़ी हुई दिखाई पड़ती हैं। पत्तियों के अग्रभाग का रंग गहरा हरा होकर शिराओं का मध्य भाग सुनहरा पीला होने लगे तो ये पौधे में मैग्नीशियम की कमी दर्शाता है।
उपचार- इस कमी को पूरा करने के लिए मैग्नीशियम सल्फेट को पौधों में डालें।
नोट- हालांकि इनमें से कई पोषक तत्व गोबर की खाद, हरी खाद या फिर केंचुआ खाद में होते हैं। इन्हें भी पौधों में डाल सकते हैं।
ऑर्गेनिक उपचार भी करें
घर की बगिया में इन पोषक तत्व की पूर्ति के लिए और पौधों को स्वस्थ रखने के लिए नीम खली, वर्मीकम्पोस्ट, गोबर की खाद और पौधों के अपशिष्ट को मिट्टी में मिलाएं। बगिया को हरा-भरा रखने के लिए पेड़-पौधो को संतुलित पोषक तत्व दें।
आवश्यकताएं सूक्ष्म भी होती हैं
बोरान की कमी से पौधे के वर्धनशील भाग (बढ़त वाले भाग) के पास की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। पौधे की कलियां सफ़ेद या हल्के भूरे मृत ऊतकों की तरह दिखाई देती हैं। बोरान पौधों में कैल्शियम और पोटैशियम के अनुपात को नियंत्रित करता है। जस्ता की कमी से पत्तियों का रंग कांसे की तरह हो जाता है। पत्तियों का आकार छोटा हो जाता है, पत्तियां मुड़ी हुई दिखती हैं, उसकी नसों में निक्रोसिस और नसों के बीच पीली धारियां दिखाई पड़ती हैं।
वहीं लोहे की कमी होने पर भूरे रंग का धब्बा या मृत ऊतक के लक्षण प्रकट होते हैं। पत्तियों के किनारे और नसें अधिक समय तक हरी रहती हैं। वहीं मैंगनीज़ की कमी से पत्तियों के अंत में किनारे से अंदर की ओर लाल व बैगनी रंग के धब्बे बन जाते हैं। पौधों की पत्तियों पर मृत उतकों के धब्बे दिखाई पड़ते हैं।
उपचार- घर की बगिया में इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की पूर्ति करने के लिए ज़िंक और दूसरे माइक्रोन्यूटेट (सूक्ष्म पोषक तत्वों) का इस्तेमाल किया जाता है।
Leave a Reply