बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Wed, 13 Jan 2021 11:44 AM IST
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पांच वर्ष पूरे
– फोटो : twitter: @BJP4Delhi
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योजना की खास बातें
- योजना के अंतर्गत 33 फीसदी और उससे अधिक फसल को नुकसान होने की स्थिति में किसानों को राहत प्रदान की जाती है जो पहले 50 फीसदी नुकसान की स्थिति में दी जाती थी।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना न सिर्फ किसानों की आजीविका की रक्षा करती है बल्कि टिकाऊ खेती सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभाती है।
- प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से किसान अब आसानी से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अपना नामांकन करवा सकते हैं।
- ड्रोन जैसी टेक्नोलॉजी के उपयोग से अब फसल के नुकसान का आकलन करने में तेजी आई है और दावों के त्वरित निपटारे को बढ़ावा भी मिला है।
An important initiative to secure hardworking farmers from the vagaries of nature, PM Fasal Bima Yojana completes 5 years today. The Yojana has increased coverage, mitigated risk & benefitted crores of farmers. I congratulate all beneficiaries of the scheme. #FasalBima4SafalKisan
— Narendra Modi (@narendramodi) January 13, 2021
इसमें किसान के हिस्से के अतिरिक्त प्रीमियम का खर्च राज्यों और भारत सरकार द्वारा समान रूप से सहायता के रूप में दिया जाता है। पूर्वोत्तर राज्यों में 90 फीसदी प्रीमियम सहायता भारत सरकार देती है। सरकार ने किसानों से आग्रह किया कि वे संकट के समय में आत्मनिर्भर बनने के लिए योजना का लाभ उठाएं और एक आत्मनिर्भर किसान तैयार करने का समर्थन करें। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार योजना के तहत औसत बीमित राशि बढ़ाकर 40,700 रुपये कर दी गई है, जो पूर्व की योजनाओं के दौरान प्रति हेक्टेयर 15,100 रुपये थी।
योजना में प्रतिकूल परिस्थितियों से होने वाला नुकसान भी शामिल
योजना में बुवाई से पूर्व चक्र से लेकर कटाई के बाद तक फसल के पूरे चक्र को शामिल किया गया है, जिसमें रोकी गई बुवाई और फसल के बीच में प्रतिकूल परिस्थितियों से होने वाला नुकसान भी शामिल है। बाढ़, बादल फटने और प्राकृतिक आग जैसे खतरों के कारण होने वाली स्थानीय आपदाओं और कटाई के बाद होने वाले व्यक्तिगत खेती के स्तर पर नुकसान को शामिल किया गया है। लगातार सुधार लाने के प्रयास के रूप में, इस योजना को सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक बनाया गया था, फरवरी 2020 में इसमें सुधार किया गया।
अब तक 90,000 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान
कृषि मंत्रालय के अनुसार इस योजना में साल भर में 5.5 करोड़ किसानों के आवेदन आते हैं। अब तक, योजना के तहत 90,000 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया जा चुका है। आधार सीडिंग ने किसान के खातों में सीधे दावा निपटान में तेजी लाने में मदद की है। सरकार के अनुसार कोविड लॉकडाउन अवधि के दौरान भी लगभग 70 लाख किसानों को लाभ हुआ और इस दौरान 8741.30 करोड़ रुपये के दावे लाभार्थियों को हस्तांतरित किए गए।
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