बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Updated Thu, 31 Dec 2020 12:01 AM IST
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बता दें कि गत वर्ष केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के वेतन-भत्तों को लेकर नया कानून बनाया है। इसे संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल चुकी है। अब माना जा रहा है कि सरकार अधिसूचना जारी कर इसे लागू करने जा रही है। इससे कर्मचारियों के हाथों में नकद राशि कम आएगी, लेकिन उनकी भविष्य निधि व ग्रेज्युटी राशि बढ़ती रहेगी।
सरकार ने पिछले साल यानी 2019 में नई श्रम संहिता व वेतन कानून बनाया था। इसमें तय किया गया है कि कुल वेतन में भत्तों का हिस्सा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता है। यानी कर्मचारी के कुल वेतन में कम से कम 50 फीसदी बेसिक सैलरी होना चाहिए। इन नियमों पर कंपनियों की राय मांगी गई है। राय मिलने के बाद इस बारे में अंतिम फैसला लिया जा सकता है।
अभी वेतन में भत्तों के रूप में ज्यादा राशि
अभी जो व्यवस्था है उसमें भत्तों का हिस्सा ज्यादा होता है और मूल वेतन यानी बेसिक सैलरी कम होती है। इसी कारण केंद्र सरकार नए नियम लागू कर कर्मचारियों के भविष्य के लिए ज्यादा राशि बचाने पर जोर दे रही है। हालांकि इसका बुरा असर यह होगा कि अभी ज्यादा नकद पैसा पा रहे कर्मचारियों के हाथों में नकद राशि कम आएगी। इससे उनके खर्च व ईएमआई का गणित गड़बड़ा सकता है। कंपनियों पर भी पीएफ व ग्रेज्युटी का बोझ बढ़ जाएगा।
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