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- The NGO Of Hyderabad Started Employing Women By Making Florescent Collars For Stray Dogs, Watching Them Die While Driving
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39 मिनट पहले
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सड़क पर मारे जाने वाले आवारा कुत्तों को बचाने के लिए हैदराबाद का एक एनजीओ ‘कॉलर अप’ फ्लोरेसेंट कॉलर्स बना रहा है। इनमें से अधिकांश कुत्ते रात के अंधेरे में गाड़ियों के सामने आकर मारे जाते हैं। इस रिफ्लेक्टिव कॉलर के माध्यम से ये एनजीओ आवारा कुत्तों को बचाने का प्रयास कर रहा है। इस एनजीओ के संस्थापक चैतन्य ने बताया कि ये कॉलर लाइट वेट मटेरियल का बना हुआ है जो पशुओं के लिए सुरक्षित है। इन कॉलर को पहनने के बाद डॉग्स ड्राइविंग करने वालों को दूर से ही दिखाई देने लगेंगे।
Telangana: A Hyderabad-based NGO has created fluorescent collars for stray dogs to save them from road accidents
“Collars are made of lightweight material & are safe for animals. They’d help people driving at night to identify animals from distance,” said NGO official (02.04) pic.twitter.com/EMCpJYNFhe
— ANI (@ANI) April 3, 2021
इस एनजीओ की शुरुआत पिछले साल नवंबर में हुई थी। यह एनजीओ इस कॉलर के माध्यम से आवारा कुत्तों की वजह से सड़क पर होने वाले एक्सीडेंट कम करने का प्रयास भी कर रहा है। चैतन्य ने बताया – ”मैं खुद एक बिजनेसमेन हूं। मेरा अधिकांश समय ट्रैवलिंग करते हुए बीतता है। मैंने कई बार स्ट्रीट डॉग्स को व्हीकल्स के सामने आने से जान गंवाते हुए देखा है। उन्हें इस तरह से मरते हुए देखकर ही कॉलर अप की शुरुआत की”।
फ्लोरेसेंट बेल्ट बनाने का काम महिलाओं का एक समूह कर रहा है। ये महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योग का संचालन कर अपना खर्च चलाती हैं। इस तरह इन्हें रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही वे महिला सशक्तिकरण का बेहतर उदाहरण भी प्रस्तुत कर रही हैं। महामारी के बीच महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में यह एनजीओ मददगार साबित हुआ है।
चैतन्य को आज भी वो दिन याद है जब अपनी कार से एक स्ट्रीट डॉग को बचाने के चलते उसके दोस्त का रोड़ एक्सीडेंट हुआ और वह चल बसा। यह एनजीओ अपने प्रयास से सिर्फ डॉग्स ही नहीं बल्कि गाय और भैंसों को बचाने का प्रयास भी कर रहा है। यह एनजीओ 36 अलग-अलग शहरों में काम कर रहा है।
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