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You are here: Home / Tech / These Are The Desi Make In India Social Media Apps, But Will They Compete To Twitter-facebook And Whatsapp – ये हैं ‘देसी’ नाम वाले भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, क्या ट्विटर-फेसबुक को दे पाएंगे टक्कर?

These Are The Desi Make In India Social Media Apps, But Will They Compete To Twitter-facebook And Whatsapp – ये हैं ‘देसी’ नाम वाले भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, क्या ट्विटर-फेसबुक को दे पाएंगे टक्कर?

February 19, 2021Leave a Comment


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अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देसी होने का ट्रेंड शुरू हो गया है। ऐसा अपने देश की सूचना तकनीकों के बेहतर प्रमोशन के साथ-साथ सूचनाओं की निजता को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी भी है। इसीलिए ट्विटर से लेकर व्हाट्ससप्प और ज़ूम से लेकर गूगल मीट तक के देसी एप्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक मौजूद हैं। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि भारतीय बाजार में देसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए बहुत बड़ा चैलेंज है।

‘ट्विटर’ की जगह ‘कू’ के कदम से भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बहुत हलचल मचनी शुरू हो गयी है। कू को ट्विटर का विकल्प माना जा रहा है। इसे बीते कुछ दिनों में लाखों लोगों ने डाउनलोड भी कर लिया है। सिर्फ ‘कू’ ही नहीं बल्कि इससे पहले पिछले साल नवंबर में ट्विटर की टक्कर देने के लिए ‘टूटर’ नाम से एक भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाकर तैयार किया गया था। शुरुआत में इसे कुछ लाख डाउनलोड मिले, लेकिन बाद में यह उतना पॉपुलर नहीं हो पाया।

व्हाट्सएप को रिप्लेस करेगा सरकारी ‘संदेश’

नेशनल इनफार्मेशन सेंटर ने ‘संदेश’ नाम का एक एप बनाया है। कहा जा रहा है कि यह एप व्हाट्सएप की जगह लेगा। दरअसल व्हाट्सएप की हाल में ही जारी नई नीतियों के चलते लोगों ने उसका विरोध करना शुरू कर दिया है। इसमें प्राइवेसी पॉलिसी का खतरा बना हुआ है। जबकि संदेश में ऐसा कुछ नहीं है। हालांकि संदेश को अभी तक आम लोगों के लिए नहीं शुरू किया गया है। इसका ट्रायल शुरू हो गया है। अनुमान है कि सरकारी दफ्तरों में कम्युनिकेशन के लिए इसका इस्तेमाल हो। इसी तरह ‘संवाद’ नाम से भी एक एप शुरू किया जाना है। सिर्फ यही नहीं व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी के कारण ही बीते कुछ महीनों में ‘सिग्नल’ और ‘टेलीग्राम’ की लोकप्रियता भी तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा व्हाट्सएप को रिप्लेस करने के लिए ‘एलिमेंट्स’ नाम के एक और एप ने बाजार में एंट्री मारी है।

टिकटॉक की जगह ‘मित्रों’ और चिंगारी

जब टिकटॉक को बैन किया गया, तो लोकल टैलेंट के लिए बड़ी दिक्कत शुरू हो गयी। ठीक उसी वक़्त ‘चिंगारी’ और ‘मित्रों’ नाम के एप बाजार में आ गए। दोनों ने कुछ दिनों में ठीकठाक पैठ भी बना ली। इसी तरह से लोगों ने ‘बोलो इंडिया’ जैसे देसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी मोबाइल में इंस्टॉल करना शुरू कर दिया।

ज़ूम और गूगल मीट की जगह ‘से नमस्ते’

मामला सिर्फ यहीं तक नहीं सिमटा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब वोकल फॉर लोकल की आवाज बुलंद की, तो तकनीक के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक नए प्रयोग होने लगे। कोरोना काल में जब वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ा, तो लोगों की निर्भरता वीडियो कॉलिंग एप्स पर बढ़ गयी। चूंकि उन दिनों भारतीय एप में कोई इस तरह का प्रसिद्ध विकल्प नहीं था, इसलिए ‘से नमस्ते’ से लोगों ने खुद को जोड़ना शुरू किया और देखते ही देखते लाखों लोगों ने इसे डाउनलोड कर डाला।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

टेक एक्सपर्ट इंट्रप्रेन्योर और 2014 में कभी चंद मिनट के लिए PMOindia का ट्विटर हैंडल पाने वाले कैसर कहते हैं कि इस वक़्त भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देसी एप खूब तैयार हो रहे हैं। यह हमारे देश की ताकत है, जो बताती है कि हम विदेशी एप को टक्कर देने के लिए पर्याप्त हैं। लेकिन कैसर कहते हैं कि यह हमारे लिए बड़ा चैलेंज भी है। क्योंकि जब तक ऐसे प्लेटफॉर्म पूरी दुनिया में पॉपुलर नहीं होंगे तब तक हमारी पहुंच सीमित रहेगी।

कैसर कहते हैं कि उन्होंने 2014 में पिक्सल नाम की एक माइक्रोब्लॉगिंग साइट शुरू की थी, जो फेसबुक की तरह काम करती थी। लोगों ने खूब डाउनलोड किया। लेकिन इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर वो एक्सप्लोर नहीं की गयी और साइट बंद करनी पड़ी। टेक एक्सपर्ट दीनबंधु वर्मा कहते हैं जब तक हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को दुनिया एक्सेप्ट नहीं करती, तब तक हमारे लिए बहुत बड़ा चैलेंज है। क्योंकि हमें दुनिया से जुड़ने के लिए दुनियाभर में अपनी तकनीक को न सिर्फ पहुंचाना होगा बल्कि उसे प्रतिद्वंद्वियों के स्तर पर लाने के लिए प्रयास भी करने होंगे। अगर प्रयास नहीं करेंगे तो इन एप का कुछ खास असर नहीं होने वाला। यह सब कुछ दिन खबरों की सुर्खियां बटोरेंगे और लोग वापस उन्हीं ट्विटर और फेसबुक समेत अन्य मल्टीनेशनल प्लेटफॉर्म पर बने रहेंगे।

सार

जब तक हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को दुनिया एक्सेप्ट नहीं करती, तब तक हमारे लिए बहुत बड़ा चैलेंज है। क्योंकि हमें दुनिया से जुड़ने के लिए दुनियाभर में अपनी तकनीक को न सिर्फ पहुंचाना होगा बल्कि उसे प्रतिद्वंद्वियों के स्तर पर लाने के लिए प्रयास भी करने होंगे…

विस्तार

अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देसी होने का ट्रेंड शुरू हो गया है। ऐसा अपने देश की सूचना तकनीकों के बेहतर प्रमोशन के साथ-साथ सूचनाओं की निजता को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी भी है। इसीलिए ट्विटर से लेकर व्हाट्ससप्प और ज़ूम से लेकर गूगल मीट तक के देसी एप्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक मौजूद हैं। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि भारतीय बाजार में देसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए बहुत बड़ा चैलेंज है।

‘ट्विटर’ की जगह ‘कू’ के कदम से भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बहुत हलचल मचनी शुरू हो गयी है। कू को ट्विटर का विकल्प माना जा रहा है। इसे बीते कुछ दिनों में लाखों लोगों ने डाउनलोड भी कर लिया है। सिर्फ ‘कू’ ही नहीं बल्कि इससे पहले पिछले साल नवंबर में ट्विटर की टक्कर देने के लिए ‘टूटर’ नाम से एक भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाकर तैयार किया गया था। शुरुआत में इसे कुछ लाख डाउनलोड मिले, लेकिन बाद में यह उतना पॉपुलर नहीं हो पाया।

व्हाट्सएप को रिप्लेस करेगा सरकारी ‘संदेश’

नेशनल इनफार्मेशन सेंटर ने ‘संदेश’ नाम का एक एप बनाया है। कहा जा रहा है कि यह एप व्हाट्सएप की जगह लेगा। दरअसल व्हाट्सएप की हाल में ही जारी नई नीतियों के चलते लोगों ने उसका विरोध करना शुरू कर दिया है। इसमें प्राइवेसी पॉलिसी का खतरा बना हुआ है। जबकि संदेश में ऐसा कुछ नहीं है। हालांकि संदेश को अभी तक आम लोगों के लिए नहीं शुरू किया गया है। इसका ट्रायल शुरू हो गया है। अनुमान है कि सरकारी दफ्तरों में कम्युनिकेशन के लिए इसका इस्तेमाल हो। इसी तरह ‘संवाद’ नाम से भी एक एप शुरू किया जाना है। सिर्फ यही नहीं व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी के कारण ही बीते कुछ महीनों में ‘सिग्नल’ और ‘टेलीग्राम’ की लोकप्रियता भी तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा व्हाट्सएप को रिप्लेस करने के लिए ‘एलिमेंट्स’ नाम के एक और एप ने बाजार में एंट्री मारी है।

टिकटॉक की जगह ‘मित्रों’ और चिंगारी

जब टिकटॉक को बैन किया गया, तो लोकल टैलेंट के लिए बड़ी दिक्कत शुरू हो गयी। ठीक उसी वक़्त ‘चिंगारी’ और ‘मित्रों’ नाम के एप बाजार में आ गए। दोनों ने कुछ दिनों में ठीकठाक पैठ भी बना ली। इसी तरह से लोगों ने ‘बोलो इंडिया’ जैसे देसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी मोबाइल में इंस्टॉल करना शुरू कर दिया।

ज़ूम और गूगल मीट की जगह ‘से नमस्ते’

मामला सिर्फ यहीं तक नहीं सिमटा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब वोकल फॉर लोकल की आवाज बुलंद की, तो तकनीक के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक नए प्रयोग होने लगे। कोरोना काल में जब वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ा, तो लोगों की निर्भरता वीडियो कॉलिंग एप्स पर बढ़ गयी। चूंकि उन दिनों भारतीय एप में कोई इस तरह का प्रसिद्ध विकल्प नहीं था, इसलिए ‘से नमस्ते’ से लोगों ने खुद को जोड़ना शुरू किया और देखते ही देखते लाखों लोगों ने इसे डाउनलोड कर डाला।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

टेक एक्सपर्ट इंट्रप्रेन्योर और 2014 में कभी चंद मिनट के लिए PMOindia का ट्विटर हैंडल पाने वाले कैसर कहते हैं कि इस वक़्त भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देसी एप खूब तैयार हो रहे हैं। यह हमारे देश की ताकत है, जो बताती है कि हम विदेशी एप को टक्कर देने के लिए पर्याप्त हैं। लेकिन कैसर कहते हैं कि यह हमारे लिए बड़ा चैलेंज भी है। क्योंकि जब तक ऐसे प्लेटफॉर्म पूरी दुनिया में पॉपुलर नहीं होंगे तब तक हमारी पहुंच सीमित रहेगी।

कैसर कहते हैं कि उन्होंने 2014 में पिक्सल नाम की एक माइक्रोब्लॉगिंग साइट शुरू की थी, जो फेसबुक की तरह काम करती थी। लोगों ने खूब डाउनलोड किया। लेकिन इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर वो एक्सप्लोर नहीं की गयी और साइट बंद करनी पड़ी। टेक एक्सपर्ट दीनबंधु वर्मा कहते हैं जब तक हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को दुनिया एक्सेप्ट नहीं करती, तब तक हमारे लिए बहुत बड़ा चैलेंज है। क्योंकि हमें दुनिया से जुड़ने के लिए दुनियाभर में अपनी तकनीक को न सिर्फ पहुंचाना होगा बल्कि उसे प्रतिद्वंद्वियों के स्तर पर लाने के लिए प्रयास भी करने होंगे। अगर प्रयास नहीं करेंगे तो इन एप का कुछ खास असर नहीं होने वाला। यह सब कुछ दिन खबरों की सुर्खियां बटोरेंगे और लोग वापस उन्हीं ट्विटर और फेसबुक समेत अन्य मल्टीनेशनल प्लेटफॉर्म पर बने रहेंगे।

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