शहरीकरण ने जैव विविधता को सबसे अधिक प्रभावित किया है। 1979 से 2020 तक पिछले 41 सालों में लगभग 226 रिसर्च पेपर में इस विषय में अध्ययन प्रकाशित हो चुके हैं। जिसमें मुख्य रूप से यह सामने आया है कि समय के साथ पक्षियों ने शहरों को नकार दिया है। इसके पीछे कई सारे कारण हैं। कोई विशेष पक्षी समुदाय जो कि इन शहरों में अपने विशिष्ट खाने की तलाश में असफल होता है, रहन- सहन आदि में जब नहीं ढल पाता है तो सामान्य पक्षी प्रजाति की तुलना में वह शहरों से खुद-ब-खुद दूर होने लगता है। शहरों को स्वीकार चुके एक ही प्रजाति के पक्षियों में ग्रामीण पक्षियों की अपेक्षा कई बदलाव देखने में आते हैं। शहरी पक्षियों के स्वभाव में परिवर्तन है, आवाजों में तक बदलाव है और ग्रामीण पक्षियों के मुकाबले वे थोड़े ढीठ व दबंग किस्म के होते हैं। अन्य प्रजातियों में हार्मोनल के साथ ही शारीरिक और अनुवांशिक परिवर्तन भी देखे गए हैं।
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